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इश्क और चाय की चुस्की

नरम होंठों से अल्हड़ सी, प्यारी सी बातें
गरम चाय की चुस्की, करती शरारतें
आधे – आधे कुल्हड़ में इश्क
और दूजा गरम चाय की चुस्की…
तपते नरम होठों के पपड़ी
खुलते दिल की तिजोरी से राज
तरह -तरह की खुशबू बिखरते खयाल के
तरह – तरह के एहसास उमड़ते…
वो इश्क भी क्या इश्क रहा
और वो मीठे चाय के दाने
ताज्जुब की बात है…
लोग कैसे इस ठंड गरम मौसम में मिल लेते हैं
अपने दिल की गहरी बातें, चुपके – चुपके कह देते हैं
वजह बस यही…
इश्क और चाय की चुस्की!
-मनोज कुमार गोण्डा उत्तर प्रदेश

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