समय का पहिया

जीवन में अभिलाषा क्या
उठती गिरती सोती जागती अभिलाषा क्या
आशा पूर्ण हो या किसी का ढांचा ढीला हो
इस की किसी को फ़िक्र कहा
जीवन का चक्र चलता
समय अपना घेरा डालता
कभी थैला ले के फेरा डालता
बिना किसी खबर बिना किसी परवा में
किसी को ख़ुशी किसी को गम का नज़राना डालता
ख्वाईश को अंजाम देता
पर किसी का गुज़र नहीं पाता
उसका हुनर चल नहीं पाता

अन्नपूर्णा कौल , नोएडा

अन्य समाचार