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₹१ लाख करोड़ की रेवड़ियां …चुनाव बाद चलेगी लाडली बहन पर कैंची! …वित्त विभाग ने खड़े किए हाथ

सामना संवाददाता / मुंबई
विधानसभा चुनाव में वोटरों को लुभाने के लिए ‘ईडी’ सरकार ने १ लाख करोड़ रुपए की रेवड़ियां बांटने की घोषणा की है। मगर सरकार के पास इतना पैसा है ही नहीं। ऐसे में वित्त विभाग ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। इसमें ‘लाडली बहन’ से लेकर ‘लाडला भाई’ और किसानों से संबंधित कई योजनाएं शामिल हैं। ऐसे में वित्त विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि चुनाव बाद इनमें से कई योजनाओं के लाभार्थियों पर वैंâची चलेगी।

बारीकी से होगी ‘लाडली बहनों’ के
दस्तावेजों की जांच!

चुनावी रेवड़ियां बांटकर ‘ईडी’ सरकार हलाकान हो गई है। सरकार के पास इसके लिए पैसा ही नहीं है। राज्य की वित्तीय स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है इसलिए भविष्य में इन योजनाओं में कटौती करनी पड़ेगी। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लाडली बहनों के कागजातों की जांच कड़ाई के साथ नहीं की गई है। लेकिन चुनाव खत्म होते ही सभी कागजातों की बारीकी से जांच की जाएगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि यदि बारीकी से कागजातों की जांच होगी तो लाडली बहनें अपने आप अल्पसंख्यक हो जाएंगी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, ‘लाडली बहन’ योजना की फिलहाल करीब ढाई करोड़ महिलाएं लाभार्थी हैं। साथ ही योजना पर ४६ हजार करोड़ रुपए तक खर्च होंगे। फिलहाल राज्य सरकार ने इस योजना को विधानसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए शुरू किया है।

लाडली योजना पर लफड़ा!
पात्र-अपात्र सभी को आंख मूंदकर दिया जा रहा है ‘अनुुदान’
अदालत में गंभीर सवाल उठने की संभावना
याचिकाकर्ता को जान से मारने की धमकियां

‘ईडी’ सरकार ‘लाडली बहन’ योजना के सहारे विधानसभा चुनाव जीतने का मंसूबा पाले बैठी है। मगर सरकार के लिए यह इतना आसान नहीं है, क्योंकि इसके लिए एक भारी-भरकम बजट की आवश्यकता है। यही वजह है कि अब इस ‘लाडली बहन’ योजना पर लफड़ा शुरू हो गया है। चूंकि बजट में इसके लिए पैसा है नहीं इसलिए सरकार दूसरी योजनाओं का कुछ फंड इधर डाइवर्ट करके काम चला रही है। इसके साथ ही अब यह मामला कोर्ट में भी चला गया है। हैरानी की बात यह है कि जिस याचिकाकर्ता ने इसके खिलाफ कोर्ट में आवाज उठाई है, उसे जान से मारने की धमकियां भी मिल रही हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, अनिल वडपल्लीवार नामक शख्स ने सरकार द्वारा बांटी जा रही चुनावी रेवड़ियों के खिलाफ मुंबई हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में एक याचिका दाखिल की है। इसके बाद से उन्हें धमकियां दी जा रही हैं। इस बारे में वडपल्लीवार ने कोर्ट को सूचित किया है, जिसे न्यायाधीशों ने गंभीरता से लिया है। हाई कोर्ट ने नागपुर के पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया है कि वह वडपल्लीवार को सुरक्षा देने पर पैâसला करे। न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति अभय मंत्री की खंडपीठ ने कहा कि प्रत्येक नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है। पीठ ने नागपुर के पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि वह सामाजिक कार्यकर्ता अनिल वडपल्लीवार की उन अर्जियों पर तेजी से पैâसला करें, जिनमें पुलिस सुरक्षा की मांग की गई है। वडपल्लीवार की याचिका में मांग की गई है कि हाई कोर्ट जनता के एक विशेष वर्ग को रेवड़ी के रूप में राज्य द्वारा दी जा रही उदारता के बंटवारे को अवैध घोषित करे। दावा किया गया कि ऐसी योजनाएं मौलिक अधिकारों का हनन हैं और सरकारी खजाने की इस लूट से वास्तविक करदाताओं पर वित्तीय बोझ बढ़ता है। बता दें कि सिर्फ लाडली बहन योजना का खर्च ही ४६ हजार करोड़ रुपए है। सरकार के पास पैसा नहीं है और वह रेवड़ियां बांटने के लिए कर्ज ले रही है। राज्य का कुल कर्ज ८ लाख करोड़ से ऊपर पहुंच चुका है।

पुलिस आयुक्त को फटकार
वडपल्लीवार ने अपने आवेदन में दावा किया कि जब से उन्होंने जनहित याचिका दायर की है, तब से उन्हें समाज के विभिन्न वर्गों से नाराजगी मिल रही है। उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक रैलियों और भाषणों में भी मेरे खिलाफ बातें बोली जा रही हैं। मैं अपने परिवार और अपने जीवन तथा स्वतंत्रता की सुरक्षा को लेकर डरा हुआ हूं। मैंने पुलिस के समक्ष दो आवेदन दायर कर सुरक्षा की मांग की थी, लेकिन इस मामले में कोई पैâसला नहीं किया गया।’ इस पर हाई कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि पुलिस आयुक्त को आवेदन पर गंभीरता से विचार करना चाहिए था और कानून के तहत निर्णय लेना चाहिए था। पीठ ने कहा, ‘इस बात पर कोई विवाद नहीं हो सकता है कि यह राज्य का कर्तव्य है कि वह प्रत्येक नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा करे। भारत के संविधान के अनुच्छेद २१ ने उक्त संरक्षण को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी है।’

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