सामना सवाददाता / मुंबई
महायुति सरकार के दौरान मनपा, नगर परिषद और नगर पंचायत क्षेत्र में सफाई कार्यों के लिए ठेकेदारों को नियुक्त किया जा रहा है, इसके कारण कार्यरत सफाई कर्मचारियों का आर्थिक शोषण करने का काम शुरू हो गया है। स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में ठेकेदार नियुक्ति का मामला गरमा गया है। इसके विरोध में अखिल भारतीय सफाई मजदूर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चरण सिंह टाक ने बताया कि महाराष्ट्र में १० लाख सफाई कर्मचारियों और उनके परिवार वालों ने विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का पैâसला किया है। राज्य भर के २६० नगर परिषदों, १८ मनपाओं, १,५२५ नगर पंचायतों के सफाईकर्मियों की कई मांगें सरकार के समक्ष लंबित हैं। राज्य सरकार उन मांगों को बार-बार नजरअंदाज कर रही है। इसके अलावा, सरकार ने सभी समुदायों के लिए आर्थिक विकास मंडल की घोषणा की, परंतु वाल्मीकि समाज के लिए किसी भी आर्थिक विकास मंडल की घोषणा नहीं की है।
केंद्र और राज्य सरकारें `स्वच्छ भारत अभियान’ को बड़े जोर-शोर से लागू कर रही हैं, लेकिन इस अभियान की सफलता में अहम भूमिका निभाने वाले सफाई कर्मचारी अपने पारिश्रमिक पाने से वंचित हैं। मनपा और नगर पालिका के माध्यम से होने वाले सफाई कार्य अब ठेकेदारों को दे दिए गए हैं। ये ठेकेदार वाल्मीकि समाज के साथ-साथ अनुसूचित जाति के युवाओं से भी ये काम कराते हैं, लेकिन उन्हें न्यूनतम वेतन अधिनियम के अनुसार भुगतान भी नहीं किया जाता है। चरण सिंह टाक ने कहा कि इन ठेकेदारों पर महायुति सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। इसलिए इस ट्रेड यूनियन के सदस्यों और उनके परिवारों ने विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का भी निर्णय लिया है।