सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई के पांच स्कूलों ने एक अनोखा रिकॉर्ड बना डाला है। इन स्कूलों में फेल का १०० फीसदी रिजल्ट आया है। इनमें से चार स्कूल शहर, जबकि एक भायंदर में स्थित है। इनमें दो नाइट स्कूल, एक निजी सहायता प्राप्त मराठी माध्यम विद्यालय और एक निजी अंग्रेजी माध्यम का विद्यालय शामिल है। हालांकि, मुंबई के उक्त सभी स्कूलों के सभी शिक्षकों ने छात्रों को परीक्षा में सफलता दिलाने के लिए जमकर मेहनत की थी, लेकिन उनकी सभी मेहनत बेकार हो गई है।
जानकारी के मुताबिक, जिन स्कूलों का फेलियर रिजल्ट १०० फीसदी आया है, उनमें मालाड के दौलत शिक्षण संस्था हाई स्कूल, बांद्रा स्थित मुंबई प्रेसीडेंसी स्कूल एजुकेशन सोसायटी नाइट स्कूल, दहिसर-पूर्व स्थित ज्ञानधारा नाइट स्कूल, भायंदर-ईस्ट केबी नरावत हाई स्कूल और एक अन्य स्कूल शामिल हैं। इनमें से अधिकांश स्कूल झोपड़पट्टियों में चल रहे हैं। बताया गया है कि इनमें तीन टिनशेड संरचनाओं से संचालित हो रहे हैं। दूसरी तरफ अन्य स्कूलों के प्रबंधन का कहना है कि महामारी के चलते शैक्षणिक असफलताएं और चुनौतियां बढ़ गई हैं। दूसरी तरफ आजीविका चलाने के चक्कर में छात्रों द्वारा पढ़ाई की उपेक्षा की जा रही है।
एक विषय में पास छोटी सी जीत
दहिसर के अंबावाड़ी में टिन की शेड में संचालित नाइट स्कूल के प्रिंसिपल शालिग्राम डुंबरे ने कहा कि नए छात्रों को दाखिले समेत अन्य चुनौतियों के बावजूद संस्थान शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। नए छात्रों के लिए पास होने के शून्य प्रतिशत के बावजूद एक विषय में पास होना स्कूल के लिए एक छोटी सी जीत मानी जा सकती है।
अचंभित हैं शिक्षक
पिछले ३४ सालों से बच्चों को शिक्षित करनेवाले दौलत शिक्षण संस्था हाई स्कूल के प्रिंसिपल गजानन जादे का कहना है कि जीरो फीसदी परिणाम अचंभित करनेवाले हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का पर्याप्त स्टाफ होने के बावजूद दाखिले को बरकरार रखना चुनौती है। शिक्षक दाखिले के लिए छात्रों की तलाश में झोपड़पट्टियों की खाक छानते हैं। केबी नरावत हाई स्कूल के एडमिन प्रमुख डीके सिंह के मुताबिक, झोपड़पट्टियों में रहनेवाले बच्चे हाशिए पर रहते हैं। ऐसे में उन्हें शिक्षित करने का काम संस्थान करती है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के बावजूद स्कूल को महामारी में काफी नुकसान का सामना करना पड़ा। इस वर्ष परीक्षा में हमारे स्कूल से केवल दो छात्र बैठे थे और दोनों असफल रहे।