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१४,००० स्कूल हो सकते हैं बंद!…महायुति सरकार की गलत नीतियों के कारण…वेतन के साथ ही कई समस्याओं से जूझ रहे विद्यालय…शिक्षक संगठन ने दी आंदोलन की चेतावनी

रामदिनेश यादव / मुंबई

पिछले ढाई साल से राज्य में ‘ईडी’ सरकार के कार्यकाल में शिक्षा की गलत नीतियों का असर ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों पर पड़ा है। सरकार राज्य के १४ हजार स्कूलों को बंद करने के प्रस्ताव पर निर्णय लेने की तैयारी में है। इन स्कूलों को बचाने के लिए समाज सुधारक विनोबा भावे के गांव में सत्यशोधक सर्वोदय संगठन ने आंदोलन शुरू कर दिया है। संगठन के लोगों का कहना है कि राज्य में एक भी स्कूल बंद नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि शिक्षा पूरी तरीके से मुफ्त कर स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों के भविष्य को बचाना चाहिए। शिक्षा क्षेत्र में बढ़ रहे निजीकरण पर पाबंदी लाई जानी चाहिए। इससे राज्य में छात्रों का भविष्य उज्ज्वल होगा, लेकिन अगर इस सरकार की नीति ऐसी ही रही, उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया तो राज्य में छात्रों का भविष्य अधर में चला जाएगा।
स्कूलों के निजीकरण से नहीं पढ़ पाएंगे गरीब बच्चे!

‘ईडी’ २.० को राज्य में सरकारी स्कूलों को चलाने में दिलचस्पी नहीं है। यदि ये स्कूल बंद हो गए तो गरीबों के बच्चे पढ़ नहीं पाएंगे। इस बारे में सत्यशोधक सर्वोदय संगठन का कहना है कि शिक्षा के निजीकरण से गरीबों के बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ रहा है। सरकारी स्कूल बंद होने से केवल अमीर तबके के बच्चों को ही अच्छी शिक्षा मिल पाएगी, जबकि आम परिवारों को शिक्षा से वंचित होना पड़ेगा।
सरकारी नीतियों से राज्य में शिक्षा के माहौल में गिरावट आई है। शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाए रखने और सरकारी स्कूलों को बचाने के लिए इस संस्था ने आंदोलन शुरू किया है। बता दें महाराष्ट्र सरकार ने छोटे स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सामाजिक समरसता की कमी को देखते हुए क्लस्टर क्लोज स्कूलों की योजना को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। सत्यशोधक सर्वोदय संगठन ने गागोदे (विनोबा भावे के जन्मस्थान) में आंदोलन शुरू किया है।
आमरण अनशन पर बैठे
संगठन की ओर से संदीप पाटील आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी नीति के कारण १४ हजार स्कूल बंद होने के कगार पर हैं। संदीप पाटील ने आरोप लगाया कि सरकार की गलत शिक्षा नीति के कारण महाराष्ट्र में इन प्राथमिक स्कूलों के बंद करने का प्रस्ताव आया है। इससे गांवों के बच्चों को महंगी प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई के लिए मजबूर होना पड़ेगा। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए निजी शिक्षा वहन करना संभव नहीं है, जिससे गरीब और वंचित वर्ग के बच्चे शिक्षा के मुख्य प्रवाह से बाहर हो सकते हैं।
१,८५,४६७ छात्र प्रभावित
सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में कुल १४,७८३ स्कूलों में २० या उससे कम छात्र नामांकित हैं। इस निर्णय से १,८५,४६७ छात्र और २९,७०७ शिक्षक प्रभावित होंगे।

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