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२०,००० करोड़ रुपए घाटे में सरकार!..लोकलुभावन चुनावी योजनाओं ने बढ़ाया आर्थिक दबाव…विकास कार्यों पर संकट के बादल

सामना संवाददाता / मुंबई

महाराष्ट्र सरकार की वित्तीय रणनीति एक बार फिर कटघरे में है। खबरों की मानें तो वित्त वर्ष २०२४-२५ के अंत तक सरकार का कुल राजस्व अनुमान से करीब २०,००० करोड़ रुपए कम रहा है। यह कमी सरकार द्वारा पिछले महीने घोषित संशोधित अनुमान से लगभग ६ फीसदी कम है, जो राज्य की आर्थिक स्थिति और बजट प्रबंधन की वास्तविकता को उजागर करती है।
जीएसटी, वैट, उत्पाद शुल्क, स्टांप ड्यूटी और वाहन कर जैसे मुख्य राजस्व स्रोतों में लक्ष्यों की प्राप्ति नहीं हो सकी। जीएसटी संग्रहण जहां १,६७,९०५ करोड़ रुपए का अनुमान था, वहीं केवल १,६२,६५५ करोड़ रुपए ही जुटाए जा सके। वैट और प्रोफेशनल टैक्स में भी उल्लेखनीय गिरावट देखी गई, जिससे सरकार की आमदनी प्रभावित हुई।
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ने जानबूझकर अपने संशोधित अनुमान (आरइ) को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया ताकि लोकलुभावन योजनाओं को सही ठहराया जा सके। खासकर चुनाव से पहले शुरू की गई योजनाओं जैसे `लाडली बहन योजना’ का आर्थिक भार उठाने के लिए सरकार ने अपने आय अनुमानों को अव्यवहारिक तरीके से बढ़ा दिया।
नियोजन प्रक्रिया में खामियां
आलोचकों का कहना है कि बजट अनुमानों और संशोधित अनुमानों के बीच का बड़ा अंतर सरकार की नियोजन प्रक्रिया की खामियों को दर्शाता है। वित्तीय वर्ष समाप्त होने से कुछ सप्ताह पहले किए गए संशोधन भी अव्यावहारिक साबित हुए, जिससे साफ होता है कि अनुमान वास्तविकता से कोसों दूर थे।
विकास कार्यों पर पड़ सकता है असर
राजस्व में आई इस भारी गिरावट का असर विकास कार्यों और जनकल्याणकारी योजनाओं पर पड़ना तय है। यदि यही स्थिति बनी रही तो राज्य को अगले वर्षों में और अधिक राजकोषीय दबाव का सामना करना पड़ सकता है। सरकार अपने राजस्व अनुमानों को यथार्थ के करीब लाए और व्यय नियंत्रण की ठोस योजना बनाए।

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