सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में बारिश ने दस्तक दे दी है। इस बीच डेंगू और मलेरिया समेत कई मौसमी बीमारियों की बाढ़ आ गई। हालांकि, मानसून के २१ दिन बाद मुंबई मनपा को इसकी याद आई है। इसके तहत प्रशासक ने कल आनन-फानन में मानसूनी बीमारियों की रोकथाम के लिए समीक्षा बैठक की। इस बैठक में आयुक्त ने मौसमी बीमारियों पर कंट्रोल पाने की तैयारियों की जानकारी ली, जिसमें बताया गया कि मनपा अस्पतालों में मरीजों के लिए तीन हजार बेड आरक्षित किए गए हैं। इसके साथ ही डेंगू और मलेरिया की जांच भी नि:शुल्क की जाएगी। इसके अलावा फीवर ओपीडी और विभागीय वार रूम शुरू किया जा चुका है। इस बीच आयुक्त गगरानी ने आदेश दिया कि मानसूनी बीमारियों की रोकथाम के लिए सभी यंत्रणाएं मिलकर काम करें।
उल्लेखनीय है कि जून महीने में मलेरिया के ४४३, डेंगू के ९३, लेप्टो के २८, स्टमक फ्लू के ७२२, हेपेटाइटिस के ९९ और स्वाइन फ्लू के १० मरीज मिले हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या के बावजूद अब तक मनपा प्रशासन की नींद नहीं खुली थी। हालांकि, महाराष्ट्र में जीका वायरस के मामले बढ़ने लगे हैं और पूरे देश में तहलका मच गया है। इसे देखते हुए मनपा ने शहर में मच्छर जनित व अन्य मौसमी रोगों की रोकथाम के लिए विभागीय स्तर पर उपाय किए जाने लगे हैं। इसके तहत शहर में डेंगू और मलेरिया की ८०० लैबों में नमूनों की जांच हो रही है।
उपलब्ध कराए गए बेड
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, केईएम में ३०, सायन में १६२, नायर में ४११, कूपर में १०७ और उपनगरी अस्पतालों में ९६१ बेड मौसमी बीमारियों के लिए आरक्षित किए गए हैं। मुंबई में जहां डेंगू और मलेरिया के हॉटस्पॉट्स हैं, वहां विशेष फोकस किया जाएगा। यहां निवारक उपाय किए जाएंगे। इसके साथ ही विभागों में मरीजों का पता लगाने के लिए सर्वे अभियान चलाए जाएंगे।
मनपा के प्रमुख अस्पतालों से कम्युनिटी मेडिसिन में चार विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम प्रत्येक विभाग में मानसून बीमारियों से निपटने में सहायता के लिए मौजूद है। इन विशेषज्ञ चिकित्सकों का अनुभव और मरीजों का वैज्ञानिक उपचार विभागों के लिए मार्गदर्शक बनेगा।