– ३ सीटों पर तो कर देंगे सूफड़ा साफ
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
नब्बे सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में बहुमत के लिए ४६ सीटें जरूरी हैं। २०१९ के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बहुमत से महज ६ सीट दूर रहकर ४० पर सिमट गई थी। जोड़-तोड़ के सहारे इसने जननायक जनता पार्टी (जजपा) और निर्दलीय विधायकों की मदद से सरकार बनाई, तब भाजपा के बहुमत से वंचित रहने में इसके बागी नेताओं की उल्लेखनीय भूमिका थी। चुनाव में ७ निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे, जिनमें ५ भाजपा के बागी थे। कई अन्य सीटों पर भी बागियों ने भाजपा का खेल बिगाड़ा था।
हालात इस बार भी जुदा नहीं हैं। भाजपा ने २९ सितंबर को ८ विधानसभा क्षेत्रों से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे ८ बागियों को ६ वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित किया है। वहीं राज्य की कुल १८ सीटों पर भाजपा के लिए उसके २२ बागी नेता चुनौती बने हुए हैं, जिनमें से तीन सीटों पर एक से अधिक बागी नेता निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।१८ में से ३ सीटें तो वही हैं, जिन्हें बगावत के चलते २०१९ में भाजपा हारी थी।
हिसार राज्य की सबसे चर्चित सीटों में से एक बन गई है। यहां भाजपा उम्मीदवार लगातार दो बार के विधायक और राज्य सरकार में मंत्री डॉ. कमल गुप्ता हैं, जिन्हें पार्टी के तीन बागियों-सावित्री जिंदल, गौतम सरदाना और तरुण जैन की बगावत से पार पाना है। पृथला का किस्सा रोचक है। पिछला विधानसभा चुनाव भाजपा से टिकट न मिलने पर नयनपाल रावत निर्दलीय लड़कर जीते थे। अगले ५ साल उन्होंने भाजपा सरकार को समर्थन दिया। इस बार उन्हें भाजपा से टिकट मिलने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन उनका टिकट फिर कट गया और पूर्व विधायक टेकचंद शर्मा को मिल गया।
रावत फिर बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। पृथला में दीपक डागर ने भी भाजपा के खिलाफ निर्दलीय मोर्चा खोला है। जजपा और नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (एएसपी) के गठबंधन ने भी उन्हें समर्थन दिया है। सफीदों से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे बच्चन सिंह आर्य को भाजपा ने ६ साल के लिए निष्कासित किया है। यहीं से एक अन्य बागी जसवीर देशवाल को भी पार्टी से निकाला है। असंध सीट से पूर्व विधायक जिलेराम शर्मा भाजपा छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
२००९ में हरियाणा जनहित कांग्रेस से विधायक रहे जिलेराम को क्षेत्र में खासा समर्थन प्राप्त है। गुरुग्राम में भी भाजपा अपने बागी के कारण त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी है। इसराना में सत्यवान शेरा का नाम टिकट के लिए भाजपा में सबसे आगे था, लेकिन पार्टी ने राज्यसभा सांसद और दो बार के पूर्व विधायक कृष्ण लाल पंवार को टिकट दिया। शेरा की बगावत ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
बातचीत में तोशाम विधानसभा के बापोड़ा गांव के सरपंच सुग्रीव सिंह, जो भाजपा से ताल्लुक रखते हैं, कहते हैं कि इस बार राज्य में सर्वाधिक निर्दलीय उम्मीदवारों के जीतने का रिकॉर्ड बनेगा। वह कहते हैं, ‘जमीनी कार्यकर्ताओं के टिकट भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही काटे हैं, लेकिन भाजपा ने ऐसा अधिक किया है, उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।’