सामना संवाददाता / भाईंदर
हिंदी प्रचार एवं शोध संस्था मुंबई कि 246 वीं मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन न्यू सी ब्यु, न्यू रविराज काम्प्लेक्स जेसल पार्क भाईंदर-पूर्व में संस्था के महासचिव डॉ. उमेश चंद्र शुक्ल के संयोजन में किया गया। इस अवसर पर संस्था के 20 वर्ष कि उपलब्धियों पर चर्चा हुई।
श्रेयस्कर पत्रिका के संपादक डॉ. कृपा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। डॉ. कृपा शंकर मिश्र ने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि इस तरह की काव्य गोष्ठियों का आयोजन हमारे मानस जगत का विस्तार करता है। काव्य कर्म को सतत गतिशील बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं। मिश्र ने गीत पढ़ा “मेरे चिंतन सरोवर की निस्तब्धता किसने स्पर्श से इसको उमंगित किया।” एवं “बुझ गए दीप हर घर में देखो, बेटियां ही रुदन कर रही हैं।” इस अवसर पर मुख्य अतिथि संयोग साहित्य त्रैमासिक पत्रिका के संपादक डॉ. मुरलीधर पाण्डेय ने गीत गजल और कविता को रेखांकित करते हुए गजल कहे, “आज फिर तेरी हंसी में गम के तहख़ाने मिलें।” काव्य गोष्ठी के संयोजक डॉ. उमेश चंद्र शुक्ल ने मुक्तक पढ़ा “अमन के सौदागर मिलेंगे चारों तरफ” गीत पढ़ें “बैसारन घाटी डोल गई, पहलगाम में बोल गई, दिल्ली दिल्ली चेतो दिल्ली, भीगी बिल्ली बोल गई।।” वीर रस में कविता पढ़ी “जागो जागो हे! वीर पुत्र, रणवीर, धीर हे! आर्य पुत्र। भारत माता ललकार रहीं, अपने पुत्रों को पुकारा रही।।” शुक्ला जी की रचनाओं पर तालिया और वाह वाह से सभागार गूंज उठा। मार्कंडेय त्रिपाठी ने “ऐ मेरे वतन के लोगों, आंखों में भरो अंगारे” एवं “जिंदगी ही दांव पर जब लग गई तो। “पहलगाम में निर्दोष हिंदू हत्या पर केन्द्रित कविता का पाठ किया। आध्यात्मिक रचनाकार श्रीधर मिश्र आत्मिक ने “सदियों से चल रहा सुर असुर युद्ध” एवं “दुनिया की भीड़ में आपसे मिलना जन्मों-जन्मों का नाता है।” जीवन के व्यावहारिक पक्ष को लेकर रचना प्रस्तुत किया। ओमप्रकाश तिवारी ने अमर शहीद वीर विनायक दामोदर सावरकर को याद करते हुए “ओ! शहीदों आपने जिस यज्ञ को अधूरा छोड़ दिया था।” एवं “याद करें उस महापुरुष को जो कविता की चिंगारी थी।” राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत रचना प्रस्तुत किया। संजय सिंह निर्जल ने ग़ज़ल कहा “हर जानिब मचा शोर खामोशी अजीब है।” गजल वर्तमान समय की विसंगतियों, विद्रूपताओं आशंकाओं को खोलकर रख देती है। अमरनाथ द्विवेदी अमर ने “सबका मालिक एक झूठा नारा”, “छोड़ अहिंसा का पाथ अब तुम हिंसा का वरण करो” जोश पैदा करने वाली रचना का पाठ किया।” विजय नाथ मिश्र बिंदास “मैं एक महकता फूल बनूं एवं “मैं सदा वतन की आन पर मरु, वंदे मातरम, गीता रामायण कुरान वंदे मातरम।” राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत रचना प्रस्तुत किया।उपेन्द्र पाण्डेय ने तरन्नुम में गजल कहा “कोई जा रहा अकेला, कोई रह गया अकेला।” गीतकार कल्पेश यादव ने”अपने लहू की बूंद-बूंद से इस धरती को हर करूं”, एवं” तुमको कसम तिरंगा की है, तुम्हें कसम मां गंगा की है।” एवं “जिंदा दफना दो उसको जो बात करें बंटवारे कि।” राष्ट्रभक्ति पूर्ण कविता का पाठ किया। सरस्वती वंदना करके मार्कंडेय त्रिपाठी ने विधिवत कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम का संचालन संस्था के महासचिव डॉ. उमेश चंद्र शुक्ल ने किया एवं त्रिभुवन दुबे ने सभी अतिथियों के आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार धर्मेंद्र पाण्डेय, त्रिभुवन दुबे राजेश त्रिपाठी मीरा रोड की विशेष गरिमामय उपस्थिति ने कार्यक्रम को विशेष बना दिया।