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चंद्रपुर-नागपुर हाईवे के लिए ३२ हजार पेड़ों की चढ़ेगी बलि! …पुणे-नासिक परियोजना भी बनेगी पर्यावरण के लिए खतरा

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में प्रस्तावित दो प्रमुख राजमार्ग परियोजनाएं, चंद्रपुर-नागपुर और पुणे-नासिक अब पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही हैं। सरकार द्वारा इस विकास को तरक्की का रास्ता बताकर फेश किया जा रहा है, लेकिन इसकी असलियत मूल्य वनों की कटाई, वन्यजीवों के आवासों की बर्बादी और जैवविविधता के विनाश के रूप में सामने आ रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार, चंद्रपुर-नागपुर हाईवे परियोजना २०३ किमी लंबी है और इसके लिए २,१३५ हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जा रही है, जिसमें १०९ हेक्टेयर जंगल क्षेत्र शामिल है। इस मार्ग से ३२,०२५ पेड़ों की बलि दी जाएगी, जो राज्य की हरियाली को गहरी चोट पहुंचाएगा। यह हाईवे दो महत्वपूर्ण बाघ गलियारों- ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व और कन्हारगांव वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी से सटा हुआ है, जिससे वन्यजीवों के जीवन पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
पुणे-नासिक हाईवे के लिए ६२ हेक्टेयर वनभूमि का होगा हस्तांतरण
वहीं पुणे-नासिक हाईवे परियोजना भी १८९ किमी लंबी है, जिसके लिए ६२ हेक्टेयर वनभूमि का हस्तांतरण किया जाएगा। इस परियोजना में अब तक पेड़ों की सटीक संख्या नहीं बताई गई है, लेकिन यह तय है कि भारी पैमाने पर वृक्षों की कटाई की जाएगी। दोनों ही परियोजनाओं के लिए हजारों हेक्टेयर कृषि और निजी जमीन ली जा रही है।

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