सामना संवाददाता / मुंबई
ठाणे शहर और इसके आस-पास के क्षेत्रों में अगले दशक में करीब ३ करोड़ ९६ लाख ६३६.७५ करोड़ रुपए की ३४ परियोजनाएं प्रस्तावित हैं। इनमें मेट्रो लाइन, बुलेट ट्रेन, एक्सप्रेसवे, एलिवेटेड रोड और सुरंग जैसी परियोजनाएं शामिल हैं। हालांकि, इन परियोजनाओं को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सीएम शिंदे का गृह क्षेत्र होने के कारण क्या शिंदे ठाणे पर इतना मेहरबान हैं। तो वहीं मुंबईकर सवाल उठा रहे हैं कि क्या शिंदे केवल ठाणे के ही मुख्यमंत्री हैं, उनकी कृपा अन्य जिलों या शहरों पर क्यों नहीं बरस रही है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पिछले एक दशक में ठाणे और आस-पास के इलाकों में अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ठाणे में इतनी बड़ी संख्या में परियोजनाओं का उद्देश्य केवल अपने चहेते बिल्डर और निवेशकों को लाभ पहुंचाना है। कई परियोजनाएं ठाणे जिले के कल्याण, डोंबिवली, उल्हासनगर, अंबरनाथ, मुंब्रा और कलवा जैसे क्षेत्रों में प्रस्तावित हैं, जो सीधे शिंदे के बेटे और कल्याण के सांसद श्रीकांत शिंदे के क्षेत्राधिकार में आते हैं। यह सवाल उठता है कि क्या ठाणे में ही इन परियोजनाओं की प्राथमिकता राजनीतिक उद्देश्यों के तहत तय की गई है?
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि महायुति सरकार के तहत ठाणे को प्राथमिकता मिलना शिंदे के सत्ता दुरुपयोग को दर्शाता है क्योंकि बाकी महाराष्ट्र के विकास के लिए ऐसा उत्साह नहीं दिखाया गया? वहीं, जानकार यह भी मानते हैं कि इन परियोजनाओं की वजह से बढ़ता जनसंख्या दबाव और पर्यावरणीय असंतुलन भविष्य में गंभीर समस्याएं खड़ी कर सकता है।
रोजमर्रा की समस्याएं बरकरार
बता दें कि महायुति सरकार में शामिल शिंदे ने बतौर लोक निर्माण मंत्री और शहरी विकास मंत्री इन परियोजनाओं के लिए तेजी से मंजूरी दिलवाई। इसके बावजूद ठाणे के आम नागरिकों की रोजमर्रा की समस्याएं ट्रैफिक जाम, बढ़ती आबादी और पर्यावरणीय संकट का हल अभी तक अधूरा है।