-तीन महीने में होगा लाइसेंस रद्द
सुनील ओसवाल / मुंबई
आज १ अप्रैल से राज्य में यातायात नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है। इसके तहत राज्य के करीब चार करोड़ वाहन चालकों के लाइसेंस पर खतरा मंडरा रहा है। दरअसल, सरकार ने एक नया तुगलकी फरमान निकाला है, जिसके तहत तीन महीने के भीतर चालान नहीं भरनेवाले वाहन चालकों के लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे।
मुंबई में वाहन चालक अभी तक आसानी से वाहन चलाते आए हैं, पर अब सरकार ने एक तुगलकी फरमान जारी किया है, जिसके तहत वाहन चालकों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। अब जिन वाहन चालकों ने वक्त पर चालान नहीं भरा, उनके लाइसेंस रद्द हो जाएंगे।
मिली जानकारी के अनुसार, आरटीओ ने जो नया नियम लागू किया है, इसमें सबसे प्रमुख है, वक्त पर चालाना भरना। नए नियम के अनुसार, यदि तीन माह के भीतर चालान नहीं भरा गया तो लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। इससे साफ है कि चालान का भुगतान न करना वाहन मालिकों के लिए महंगा पड़ सकता है।
नए नियम के अनुसार, यदि वाहन मालिक तीन महीने के भीतर यातायात जुर्माना अदा करने में विफल रहता है तो पुलिस उसका ड्राइविंग लाइसेंस रद्द कर सकती है। सरकार ने नए नियमों का मसौदा तैयार किया है। नए मसौदे के अनुसार, ई-चालान का जुर्माना तीन महीने के भीतर भरना अनिवार्य है।
…तो लाइसेंस जब्त
नए नियम के अनुसार, यदि एक साल में तीन बार गलतियां की जाती हैं, जैसे लाल बत्ती का उल्लंघन करना और खतरनाक तरीके से वाहन चलाना, तो वाहन चालक का लाइसेंस तुरंत तीन महीने के लिए जब्त कर लिया जाएगा।
४०% भरते हैं चालान
यातायात पुलिस द्वारा हर साल ई-चालान जारी किए जाते हैं। इनमें से केवल ४० प्रतिशत लोग ही जुर्माना भरते हैं। इससे सरकार वसूली बढ़ाना चाहती है। सरकार का मानना है कि सख्त नियमों से लोग चालान के भुगतान के प्रति गंभीर हो जाएंगे।
अभी तक जुर्माना नहीं
गौरतलब है कि अभी तक चालान नहीं भरने पर कोई जुर्माना नहीं लगता था और लोक अदालत में चालान पर भी छूट मिलती है इसलिए लोग जानबूझकर जुर्माना नहीं भरते। सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मुद्रा और उसके भुगतान पर रिपोर्ट मांगी थी।
अब तो जागो जनता!
भाजपा सरकार की इस लूट पर लोगों में आक्रोश पनप रहा है। असल में चालान सही है या गलत, इसका मूल्यांकन कोई वैâसे कर सकता है? कई बार स्वार्थ, दुश्मनी या कुछ निजी लाभ के लिए गलत चालान बना दिया जाता है। इसकी कोई सुनवाई नहीं होती। इसके लिए लोकायुक्त नियुक्त किए गए हैं। जब लोकायुक्त नियुक्त हैं, तो बिना उसकी सुनवाई के सरकार ऐसा तुगलकी फैसला कैसे ले सकती है? अब यह साफ हो गया है कि भाजपा सरकार पब्लिक को पूरी तरह से लूटने में लगी हुई है। नोटबंदी और जीएसटी से शुरू हुआ सफर बदस्तूर जारी है। ऐसे में जब तक इस सरकार के खिलाफ जनता जागेगी नहीं, तुगलकी फरमान के तहत इस तरह की लूट जारी रहेगी।