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 पुंछ और राजौरी में फैले आतंकवाद में गई हैं 41 महीनों में 41 सैनिकों और 15 नागरिकों की जानें 

सुरेश एस डुग्गर / जम्मू

आतंकवाद अब राजौरी व पुंछ के जुड़वा जिलों में कहर बरपा रहा है। धारा 370 हटाए जाने के उपरांत कश्मीर में सुरक्षाबलों का दबाव बढ़ा तो आतंकियों ने राजौरी व पुंछ को अपना नया ठिकाना इसलिए बना लिया, क्योंकि अधिकारी भ्रम पाले हुए थे कि एलओसी से सटे यह दोनों जिले आतंकवाद मुक्त हो चुके हैं तथा शांति लौट चुकी है।
पिछले हफ्ते आतंकी हमले में पहली बार एक वायुसैनिक की मौत हो गई थी तो 21 दिसंबर 2023 को आतंकियों ने पांच और जवानों की हत्या कर दी थी। इसके साथ ही पिछले 41 महीनों में एलओसी से सटे राजौरी व पुंछ के जुड़वा जिलों में मरने वाले सैनिकों का आंकड़ा 41 को पार कर चुका है। इसी अवधि में 15 नागरिकों की जानें भी आतंकी ले चुके हैं। सेना के लिए गले की फांस बने दोनों जिलों में चिंता इस बात की है कि उसकी तमाम कोशिशों के बावजूद स्थानीय नागरिक आतंकवाद की ओर मुढ़ने लगे हैं।
पिछले साल 22 नवंबर को और फिर 21 दिसम्बर को एक माह के अंतराल में आतंकियों ने 10 फौजियों को मौत के घाट उतार कर सभी को चौंकाया था, जबकि वर्ष 2023 के मई को आतंकियों ने राजौरी के दरहाल में जो हमला किया था, उसके बाद 22 नवंबर और 21 दिसम्बर शहादतें फिर से राजौरी के आतंकवाद के इतिहास में एक खूनी अध्याय जोड़ चुकी हैं। पिछले साल के ही मई महीने की 6 तारीख को करीब 10 महीनों की शांति के उपरांत आतंकियों ने राजौरी के दरहाल में सैनिकों पर हमला बोला तो पांच जवान शहीद हो गए। हालांकि, सेना अभी तक इन हमलों में शामिल आतंकियों को न ही पकड़ पाई है और न मार गिराया जा सका है। कहा तो यह भी जा रहा है कि यह एक ही गुट का काम था, जिसने फिर से इस साल के पहले महीने की पहली तारीख को ढांगरी में 9 हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया था।
दोनों जिलों में आतंकियों द्वारा सेना को लगातार निशाना बनाए जाने से सेना की परेशानी सैनिकों के मनोबल को बनाए रखने की हो गई है। अक्तूबर 2021 के दो हमलों की ही तरह, जिसमें 9 सैनिक मारे गए थे। इस अरसे में 15 सैनिकों को मारने वाले आतंकी स्नाइपर राइफलों और अति आधुनिक हथियारों से लैस होने के साथ ही क्षेत्र से भली भांति परिचित होने वाले बताए जाते रहे हैं। एक अधिकारी के बकौल, स्थानीय समर्थन के कारण ही वे पुंछ के भाटा धुरियां इलाके से राजौरी के कंडी क्षेत्र तक के 50 से 60 किमी के सफर को पूरा कर रहे थे।
वर्ष 2023 में अप्रैल तथा मई महीने में 17 दिनों में आतंकियों के हाथों 10 जवानों की मौतें राजौरी व पुंछ के एलओसी से सटे इन जुड़वा जिलों में कोई पहली आतंकी घटना नहीं थी, बल्कि पांच अगस्त 2019 को धारा 370 हटाए जाने के बाद आतंकियों ने कश्मीर से इन जुड़वा जिलों की ओर रूख करते हुए पहले सुरनकोट के चमरेर इलाके में 11 अक्तूबर 2020 को पांच सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। इस हमले के पांच दिनों के बाद इसी आतंकी गुट ने पुंछ के भट्टा दुराईं इलाके में सैनिकों पर एक और घात लगा कर हमला किया तो 4 सैनिक शहीद हो गए। दोनों हमलों में शहीद होने वालों में दो सैनिक अधिकारी भी शामिल थे।
41 महीनों से जंग के मैदान में बदल चुके दोनों जिलों के हालात के प्रति यह भी एक कड़वी सच्चाई है कि यह अब सेना के गले की फांस बनने लगे हैं। दरअसल, आतंकी 16 अक्तूबर 2021 को भट्टा दुर्राइं में जिस तरह से एक महीने तक सैनिकों को छकाते रहे हैं, ठीक उसी रणनीति को अपनाते हुए वे मई महीने में 29 दिनों तक सैनिकों के संयम की परीक्षा भी ले चुके हैं।
इन दोनों जिलों में फैली इस जंग के प्रति यही कहा जा रहा है कि मुकाबला अदृश्य दुश्मन से है। यह दुश्मन स्थानीय ओजीडब्ल्यू तो हैं ही, एलओसी के पास होने से उस पार से आने वाले विदेशी नागरिक भी हैं, जिन पर भी नकेल नहीं कसी जा सकी है, जबकि आतंकी हमलों और नरसंहार की घटनाओं में शामिल सभी आतंकी फिलहाल गिरफ्त से बाहर हैं।

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