मुख्यपृष्ठसमाज-संस्कृतिशब्दार्थ साहित्य मंच की 41वीं गोष्ठी आयोजित

शब्दार्थ साहित्य मंच की 41वीं गोष्ठी आयोजित

सामना संवाददाता / मुंबई

भायंदर, शब्दार्थ साहित्य मंच मुंबई द्वारा आयोजित 41वीं मासिक काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डॉ. उमेश चंद्र शुक्ल ने कहा कि रचना रचनाकार के मानस की चरम उपलब्धि होती है। कवि अपनी उच्छल भावनाओं को काव्य के सांचे में ढालकर शब्दबद्ध करता है। रचना पढ़ी “इश्क है तो इश्क की नुमाइश न कीजिए, इश्क को सिक्के से उछाल नहीं करते”, “ताजा गजल कहेंगे महफिल की शान में पुरानी कही गई को कहें तो मजा नहीं” के साथ गजल के कहे “जिंदगी के लिए कुछ शौक जिंदा रखिए, अंधेरा कितना हो हाथों में दिया रखिए।” इस अवसर पर संस्था के संस्थापक वैद्य बीबी चौबे रसिक ने मुक्तक पढ़ा “बनाकर रेत का घर क्यों गुमान करते हो”, उसके आने का इंतजार मत करना।” किरण चौबे अविरल “छोटा सा परिवार मगर सुंदर था परिवेश। जाने कहां खो गया देश”, क्राइम फेज समाचार पत्र के संपादक सुभाष पांडे ने अपने विचार शेयर किया। अमरनाथ द्विवेदी अमर ने कविता पढ़े “अमर जमाने को दोष न दे जमाना बुरा नहीं”, विनोद मिश्र ने कहां से लाए हो वह लफ्ज़ जो शब्द हमें मिलते नहीं एवं “दर्द ए दिल ठहर क्यों नहीं जाता।” विजय दान मुथा ने “किसी ने रोजा रखा है किसी ने उपवास रखा है”, हमारे बुजुर्ग हमारी शान है।”, विजय नाथ मिश्रा बिंदास ने अपने अंदाज में “मिले जिंदगी जो जिए जाएगा, जो मेरे दिल में आता है वही गीत मैं गाता हूं”विधि सुघर सृष्टि सजावै हो रामा च‌ईत महिनवां”,अजीत सिंह “यह पैसा ही यारों जहर बन गया ” एवं प्रसिद्ध गीतकार अरुण दुबे अविकल ने “टूट कर तुमको चाहा है उसका सिला”, “तुमने हमको बंद कर लिया है प्रणय के पिंजरे में” आदि कवियों ने काव्य पाठ किया। कार्यक्रम के संयोजक किरण चौबे ने सरस्वती वंदना किया, इस कार्यक्रम का संचालन एवं अतिथियों के प्रति आभार विनोद मिश्र ने व्यक्त किया।

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