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५४ में से ४५ कंपनियां हिंदुस्थानी … दावोस समझौता निवेश का गुब्बारा! … आदित्य ठाकरे ने सरकार की उधेड़ी बखिया

सामना संवाददाता / मुंबई
दावोस में कुल ५४ कंपनियों के साथ महायुति सरकार ने समझौता किया। इन ५४ कंपनियों में ११ विदेशी, जबकि ४३ हिंदुस्थानी हैं। इसमें भी ३१ महाराष्ट्र की हैं। कुल मिलाकर दावोस का समझौता निवेश का गुब्बारा साबित हुआ है। इन शब्दों में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व युवासेनाप्रमुख आदित्य ठाकरे ने महायुति सरकार की बखिया उधेड़कर रख दी।
मातोश्री में आयोजित पत्रकार परिषद में आदित्य ठाकरे ने कहा कि बीते दो सालों से जो असंवैधानिक सरकार थी, उसने किस तरह से बर्बादी की, उसे हमने देखा है। उस समय असंवैधानिक मुख्यमंत्री ने २८ घंटों में ४० करोड़ रुपए पानी की तरह बहाया था। दूसरे दौरे में उन्होंने और ४० अधिकारियों को अपने साथ लेकर गए थे, मानों उस समय उन्हें (एकनाथ शिंदे) खर्च पर शर्म नहीं आ रही थी। पिछले साल भी हुए इसी तरह बड़ी संख्या में प्रतिनिधिमंडल अपने साथ लेकर गए थे। इस दौरान इतना ही अच्छा रहा कि वह अपने साथ ज्यादा लाव लश्कर नहीं ले गए थे। शुरुआत के पहले एक-दो दिन ऐसा लगा कि इससे कुछ अच्छा रास्ता निकलेगा।
आदित्य ठाकरे ने कहा कि पिछले दो-तीन दिनों से मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल को देखने के बाद ऐसा लग रहा था कि इतना निवेश हो चुका है कि पुरानी पेंशन योजना तुरंत लागू हो जाएगी। लाडली बहनों को २,१०० रुपए क्या, इसमें एक-दो शून्य और जोड़ कर योजना को तुरंत लागू कर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम आश्वस्त हैं कि इतना अधिक निवेश हो चुका है कि एसटी किराया वृद्धि रद्द कर दी जाएगी। इसके अलावा अनुसूचित जनजातियों का विलय और कर्ज माफी भी होगी। चूंकि इतना ऐतिहासिक निवेश किया गया है, इसलिए मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए कि इसका लाभ तुरंत मिलेगा या नहीं। छह साल पहले यानी २०१८ में उन्होंने महाराष्ट्र के लिए १,६५० लाख करोड़ रुपए की घोषणा की थी, उसके बाद क्या हुआ? इसका उत्तर अभी तक सामने नहीं आया है। हम इस बारे में संदेह नहीं उठाएंगे। लेकिन आपके माध्यम से हम जनता के सामने बातें जरूर रखेंगे।
रु.२० से रु. २५ करोड़ बचा सकते थे
यह आवश्यक है कि विशिष्ट निवेश और विशिष्ट बैठकें हों। मुख्यमंत्री को वहां जाकर अलग-अलग नेताओं और व्यापारियों से बात करनी चाहिए। यही कार्यक्रम यहां भी हो सकता था, जिससे आप दावोस की लागत २० से २५ करोड़ बचा सकते थे और वही काम आधी लागत में कर सकते थे। फिर ऐसा करने के लिए बर्फ के कपड़े पहनकर दावोस जाने की क्या जरूरत थी? मैं जानता हूं इसका कोई जवाब नहीं मिलेगा। दावोस में जो एमओयू हुआ, इसमें से चार लाख करोड़ का एमओयू एमएमआरडीए और सिडको ने किए हैं। एमएमआरडीए और सिडको का विभाग शहरी विकास मंत्री के पास है यानी शायद नगर विकास मंत्री अपने गांव और मुख्यमंत्री अपने दावोस के गांव, कदाचित ऐसी स्थिति हो गई है। हालांकि, अभी तक इस बात पर कोई स्पष्टीकरण नहीं है कि नगर विकास मंत्री को निमंत्रण मिला है या नहीं। शिवसेना पक्ष के रूप में हम उन लोगों के लिए लड़ते हैं, जिनके साथ अनुचित व्यवहार किया जा रहा है। आज नगर विकास मंत्री के साथ अन्याय हुआ है। यह उनके चेहरों पर दिख रहा है। आदित्य ठाकरे ने यह भी कहा कि उन्होंने पूरा विभाग ले लिया, लेकिन उन्हें यहीं रखा।

क्यों नहीं आयोजित किया गया मैग्नेटिक महाराष्ट्र कार्यक्रम
आदित्य ठाकरे ने कहा कि अगर महाराष्ट्र और हिंदुस्थान की इतनी सारी कंपनियां हैं, तो आपने पिछले दो वर्षों से यहां मैग्नेटिक महाराष्ट्र कार्यक्रम क्यों नहीं आयोजित किया? यहीं पर हमें दावोस के प्रति अपना नजरिया बदलने की जरूरत है। मैं भी दावोस गया हूं और उस समय सुभाष देसाई सर और नितिन साहेब मेरे साथ थे। हम तीनों, उद्योग मंत्री, ऊर्जा मंत्री और मैं वहां गए। वहां जाकर हमने एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किया और महाराष्ट्र में निवेश भी लाया। इसमें कुछ विदेशी और कुछ हिंदुस्थानी कंपनियां भी शामिल थीं। हालांकि, साथ ही दुनियाभर से दावोस में विभिन्न प्रकार के लोग आते हैं, जिनमें महिलाएं, पुरुष और उद्यमी शामिल हैं, उन्हें वहां मिलने का मौका मिलता है। लेकिन इस बार मुझे कुछ ऐसा देखने को मिला कि मुख्यमंत्री के विभाग या अधिकारियों ने अपना कार्यक्रम थोड़ा अजीब तरीके से आयोजित किया था। वे इन लोगों से कभी मिले ही नहीं। आदित्य ठाकरे ने कहा कि हमें और यहां के स्थानीय लोगों को इस निवेश का बुलबुला बाद में दिखे इसलिए उन्हें व्यस्त रखा। इसमें बैलेंस रखना जरूरी है।

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