– अवेयरनेस के लिए ३५ दिन तक स्टेप चैलेंज अभियान
सामना संवाददाता / मुंबई
मिर्गी के कलंक से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से मुंबई की एपिलेप्सी फाउंडेशन कई सालों से समाज में फैली मिथक व धारणाओं को दूर करने के लिए अवेयरनेस अभियान चलाया जा रहा है। इस साल भी ६ जनवरी से १० फरवरी तक स्टेप चैलेंज अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें `५ करोड़ कदम कलंक के खिलाफ’ ब्रीद वाक्य है। इतना ही नहीं, कल आयोजित होनेवाले टाटा मुंबई मैराथन २०२५ में फाउंडेशन की ओर से ५०० लोग हिस्सा ले रहे हैं, जिसमें से २८७ एपिलेप्सी के मरीज हैं। फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. निर्मल सूर्या ने कहा कि मैराथन में १० किमी के दौड़ में २४, जबकि हाफ मैराथन में छह मरीज हिस्सा ले रहे हैं। इसी तरह ड्रीम रनर में २५७ लोग भाग लेंगे।
उल्लेखनीय है कि आजकल मिर्गी का दौरा एक आम समस्या है। आंकड़ों की मानें तो देश में इससे १.५० करोड़ की आबादी प्रभावित है। ये बच्चों में सबसे आम मस्तिष्क विकारों में से एक है। हालांकि, ज्यादातर लोगों में दौरे को मॉर्डन मेडिसिन से ठीक किया जा सकता है। लेकिन लगभग २० प्रतिशत रोगियों पर किसी भी तरह की दवा का कोई असर नहीं होता है। चिकित्सकों का कहना है कि इन मामलों में इसका कारण क्षतिग्रस्त या असामान्य ब्रेन टिशू के पैच हो सकते हैं, जिन्हें कॉर्टिकल डेवलपमेंट की विकृतियां (एमसीडी) के रूप में जाना जाता है। दिमाग में किसी तरह का पैच होने के कारण मिर्गी के दौरे पड़ते हैं। हालांकि, सर्जरी से ब्रेन के पैच को हटाकर मिर्गी को ठीक किया जा सकता है।
जागरूकता पैदा करेगा हर कदम
डॉ. निर्मल सूर्या ने बताया कि यदि शीघ्र निदान किया जाए, तो मिर्गी समस्या खत्म हो सकती है। मिर्गी से पीड़ित लोगों के प्रति धावक का प्रत्येक कदम मिर्गी के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करेगा। इसके तहत एपिलेप्सी फाउंडेशन और इंटरनेशनल ब्यूरो फॉर एपिलेप्सी टाटा मुंबई मैराथन २०२५ में भाग लेगी। उन्होंने मैराथन में शामिल होनेवाले सभी धावकों से अपील किया है कि फाउंडेशन के बारकोड को स्कैन कर सहयोग करें।
बीमारी को लेकर हैं गलत धारणाएं
डॉ. निर्मल सूर्या ने कहा कि मिर्गी को लेकर आज भी लोगों में कई तरह की गलत धारणाएं हैं। इस बीमारी से पीड़ित मरीज को समाज में उचित सम्मान नहीं दिया जाता है। ऐसे मरीजों की शादियां नहीं होती है, जिस कारण उनका परिवार नहीं बढ़ पाता है। इस तरह की तमाम मिथ्या धारणाओं के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए वैंâपेन चलाया जा रहा है।