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मानसिक रोगों की दवाओं से ५० प्रतिशत मरीजों पर साइड इफेक्ट! …केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग के अध्ययन में हुआ खुलासा

राजधानी लखनऊ में विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह से खाई जा रहीं मानसिक रोग की दवाओं से ५० फीसदी मरीजों पर साइड इफेक्ट हो रहे हैं। यह दुष्प्रभाव युवाओं में ज्यादा होता है। केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग ने करीब एक साल के अपने अध्ययन में यह बात निकलकर आई है। केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग में आने वाले ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) से पीड़ित लोगों पर यह अध्ययन फरवरी २०२३ से जनवरी २०२४ के बीच किया गया। इसमें कुल ७२ मरीजों को शामिल किया गया। इसमें फार्माकोलॉजी विभाग का सहयोग लिया गया। अध्ययन के दौरान ओसीडी से पीड़ित लोगों पर दवाओं के प्रतिकूल प्रभावों की समीक्षा की गई। यह अध्ययन फार्मास्यूटिकल रिसर्च इंटरनेशनल में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में डॉ. शिव कुमार नाइक, डॉ. अनुराधा निश्चल, डॉ. अनलि निश्चल, डॉ. अमित सिंह और डॉ. आमोद कुमार सचान शामिल हुए।
६२.१ फीसदी युवा
अध्ययन में शामिल ७२ मरीजों में से ३७ (५१.३ फीसदी) में दवा का प्रतिकूल प्रभाव देखा गया। प्रतिकूल प्रभाव वाले मरीजों में से ६२.१ फीसदी की आयु १८ से ३० साल के बीच थी। दुष्प्रभाव वाले ७२.९ फीसदी मामले फ्लुओजेक्टिन दवा के थे। दुष्प्रभाव की बात की जाए तो ५४ फीसदी मामलों में अन्य मानसिक समस्याएं देखी गर्इं। २४.३ फीसदी मामलों में अपच की समस्या देखी गई। ७५.७ फीसदी मामलों में साइड इफेक्ट का इलाज करने की जरूरत भी पड़ी। अध्ययन की रिपोर्ट में कहा गया है कि मनोचिकित्सा की ओपीडी में दवाओं के साइड इफेक्ट की नियमित निगरानी और जागरूकता से दुष्प्रभाव का जोखिम कम किया जा सकता है। इससे मरीज की देखभाल की गुणवत्ता, उपचार की लागत में कमी और दवाओं के बेहतर परिणाम में सुधार हो सकता है।

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