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चुनावी ड्यूटी में लगे ६० फीसदी स्वास्थ्यकर्मी …वेंटिलेटर पर मनपा के अस्पताल

स्वास्थ्य सेवाएं चरमराने से रोगी हो रहे हलाकान
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है। लोकतंत्र के इस पर्व को बिना बाधा के पूरा करने के लिए सभी विभागों के अधिकारी और कर्मचारी चुनावी कामकाज में लग गए हैं। मुंबई में शिक्षकों के बाद अब मनपा द्वारा संचालित प्रमुख और उपनगरीय अस्पतालों के करीब ५० से ६० फीसदी स्वास्थ्यकर्मी चुनावी ड्यूटी पर लगाए गए हैं। इसके चलते अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं चरमराती हुई दिखाई दे रही हैं। आलम यह है कि कर्मचारियों की कमी के चलते वेंटिलेटर पर चल रहे मनपा अस्पतालों में इलाज कराने के लिए पहुंच रहे मरीज हलाकान हो रहे हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में भी मनपा अस्पतालों के कई चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को चुनावी कामकाज में लगाया गया था। उस समय भी मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा था। इसे लेकर जब चहूंओर विरोध होने लगा तब उन्हें चुनावी ड्यूटी से हटा दिया गया था। हालांकि, राज्य में अब विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। सभी अधिकारी और कर्मचारी चुनाव को शांतिपूर्ण तरीके से कराने में जुटे हुए हैं। इसी में यह जानकारी आई है कि शिक्षकों के बाद अब मुंबई मनपा के अस्पतालों में कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों को चुनावी ड्यूटी में लगा दिया गया है। बताया गया है कि केईएम के १३० स्वास्थ्य कर्मचारी चुनाव की ड्यूटी में लगे हैं। केईएम के साथ ही नायर, सायन और कूपर अस्पतालों के कर्मचारी दूसरी बार चुनाव प्रक्रिया में शामिल हुए हैं, इसमें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी शामिल हैं। इस वजह से अस्पतालों में बचे स्वास्थ्यकर्मियों पर काम का दोगुना बोझा पड़ने लगा है। इसकी वजह से अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं लड़खड़ाने लगी हैं। इससे मरीजों और उनकी साथ आनेवाले परिजनों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन उनकी इस परेशानी को हल करनेवाला कोई नहीं है।
पहले से ही कर्मियों की कमी की मार झेल रहे अस्पताल
मनपा अस्पताल पहले से ही कर्मचारियों की कमी की मार झेल रहे हैं। ऐसे में उनके अन्य कार्यों में लगाए जाने से अस्पताल प्रशासन के काम में बाधा आ रही है। वर्तमान स्थिति में अस्पतालों में डॉक्टरों, नर्सों और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों पर काम का अतिरिक्त दबाव है। शिवड़ी टीबी अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, कई कर्मचारी, क्लर्क, हेड क्लर्क और अधिकारी वर्ग जो बिलिंग प्रक्रिया या ऑर्डर प्रोसेसिंग में शामिल होते हैं, उन्हें चुनाव कार्य में लगाया गया है। अब कई नवनियुक्त कर्मचारियों को काम के बारे में पता ही नहीं है इसलिए उन्हें काम सिखाने में अधिक समय लग रहा है।

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