आश्रय की व्यवस्था करने की मांग
सामना संवाददाता / मुंबई
विधानमंडल के चल रहे मानसून सत्र के दौरान शनिवार को पेपर लीक मुद्दे पर बोलते हुए नाना पटोले ने कहा कि यह मामला काफी गंभीर है। दूसरे राज्यों से कुछ बच्चे नाशिक आकर दिव्यांगता के फर्जी प्रमाणपत्र देकर परीक्षा में शामिल हुए।
फर्जी छात्र कानून को ताक पर रख कर इसका फायदा उठा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर यह भावी छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। इस वजह से ईमानदार छात्रों का नुकसान हो रहा है और मेहनत से अपने बच्चों को पढ़ाने पर गाढ़ी कमाई खर्च करने वाले अभिभावकों का पैसा भी बर्बाद हो रहा है। नांदेड़ समेत राज्य के कई हिस्सों में पेपर लीक के खिलाफ हजारों लोग सड़कों पर उतरे और मार्च निकाला। पटोले ने कहा कि सरकार को इस सवाल का जवाब देना चाहिए और बताना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या सावधानियां बरती जाएंगी।
पवई क्षेत्र के जय भीम नगर में झोपड़ियां तोड़े जाने का मामला उठाते हुए नाना पटोले ने कहा कि ६ जून की रात पुलिस कार्रवाई में जय भीम नगर के ६५० गरीब, पिछड़े वर्ग के परिवारों को बेघर कर दिया गया है। आज ये सभी परिवार सड़कों पर हैं। पिछड़े वर्ग के इन लोगों को पुलिस और मुंबई मनपा प्रशासन द्वारा गलत कार्रवाई कर बेघर कर दिया गया है । कोर्ट के आदेश के मुताबिक साल २०११ तक के झोपड़पट्टियों को संरक्षित किया गया है और मानसून की दौरान इन बस्तियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। कोर्ट के आदेश के बावजूद पुलिस ने इन झोपड़ियों को क्यों तोड़ा? पुलिस ने बच्चों, महिलाओं को पीटा, इसका जिम्मेदार कौन है ? क्या यह सरकार बिल्डर हीरानंदानी का समर्थन कर रही है? सरकार को दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही सरकार को यह बताना चाहिए कि जिन ६५० परिवारों को सड़क पर ला दिया गया है उन्हें कहां रखा जाएगा। दोषियों पर हो कार्रवाई विधानसभा अध्यक्ष एडवोकेट राहुल नार्वेकर ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय का आदेश है कि १ जून से सितंबर तक झुग्गियों पर ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती।