सामना संवाददाता / मुंबई
देश के ६० शहरों में बेचे गए घरों की कुल संख्या में २३ प्रतिशत की वृद्धि हुई, वहीं खाली घरों की संख्या में साल-दर-साल वृद्धि जारी रही। इनमें से ८० फीसदी खाली घर बड़े शहरों में हैं। छोटे शहरों में घरों की बिक्री को अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। `कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स ऑफ इंडिया’ (क्रेडाई) ने देशभर के डेवलपर्स का छठा `न्यू इंडिया समिट’ नासिक में आयोजित किया है। इस सम्मेलन में क्रेडाई और लाइसेस फोरास द्वारा संयुक्त रूप से देश के ६० शहरों में निर्माण उद्योग की स्थिति पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई। इसमें यह जानकारी दी गई है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल ६० शहरों में ६८१ हजार १३८ घर बिके। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि २०२३ की तुलना में यह बढ़ोतरी २३ फीसदी है, लेकिन बिना बिके मकानों की संख्या दस लाख से ज्यादा है। इस रिपोर्ट से साफ है कि यह अनुपात ४३ फीसदी है। इस रिपोर्ट से यह भी साफ है कि बड़े शहरों में खाली घरों की संख्या ८० फीसदी है।
अगले कुछ वर्षों में दस लाख की आबादी वाले १०० शहर विकसित किए जाएंगे। इन शहरों को आवास की जरूरत है और देश के कई छोटे शहर अब डेवलपर्स के रडार पर हैं। लोग अपनी जरूरतों को कम करने के लिए बड़े शहरों से छोटे शहरों की ओर जाना भी चाह रहे हैं। बड़े शहरों की तरह इन लोगों को भी घर की जरूरत है। मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि डेवलपर्स को भी इस दिशा में सोचना चाहिए।
अगले कुछ वर्षों में होंगे विकसित
देश के द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों में लगभग ३ हजार २९४ एकड़ भूखंडों में से ४४ प्रतिशत भूखंडों का अधिग्रहण निजी डेवलपर्स द्वारा विभिन्न तरीकों से किया गया है। क्रेडाई के अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा कि इन भूखंडों को अगले कुछ वर्षों में विकसित किया जाएगा।