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अंगदान के इंतजार में महाराष्ट्र के ८,२०० रोगी! …किडनी वेटिंग की फेहरिस्त सबसे लंबी


-फिर लीवर और दिल का है नंबर

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में विभिन्न बीमारियों के चलते मल्टीपल ऑर्गन फेलियर के शिकार हुए रोगियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ते जा रही है। प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में इस समय विभिन्न अंगों का करीब ८,२०० रोगी इंतजार कर रहे हैं। सबसे जटिल स्थिति किडनी फेलियर रोगियों की है। इन रोगियों की फेहरिस्त बहुत ही लंबी है। इसके बाद लीवर और दिल का नंबर आता है। अंगों की सूची लंबी होने के पीछे मुंबई और महाराष्ट्र समेत पूरे देश में ऑर्गन डोनेशन को लेकर जागरूकता की कमी है। यही कारण है कि करीब दस महीनों में मुंबई में अंगदान से केवल १४७ रोगियों को नया जीवन मिल सका है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी के बाद लोगों की जीवनशैली में तेजी से बदलाव आया है। लोगों का जंक फूड की तरफ तेजी से झुकाव हो चुका है। इसके साथ ही शारीरिक गतिविधि भी गतिहीन हो गई है। इससे बीपी, शुगर, वैंâसर, किडनी, लंग्स, लीवर फेलियर, ब्रेन अटैक, हार्ट अटैक जैसी कई गंभीर बीमारियां जकड़ने लगी हैं। इसके चलते पहले की तुलना में ऑर्गन फेलियर के मामले में बढ़ोतरी हुई है। मौजूदा समय में मुंबई और महाराष्ट्र में ८,२०० से ज्यादा लोगों ने ऑर्गन की प्रतीक्षा सूची में अपने नामों को सूचीबद्ध किया है। चिकित्सकों के मुताबिक, यदि इन्हें समय पर ऑर्गन नहीं मिला, तो इनकी मौत भी हो सकती है। इस सूची में सबसे अधिक संख्या किडनी की बीमारी के अंतिम चरण के रोगियों की है। उसके बाद लीवर और हृदय प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे रोगियों की है।
कुछ हद तक हुई है सुधार
जेडटीसीसी के महासचिव डॉ. भरत शाह के मुताबिक, शहर में ब्रेन डेड व्यक्तियों के अंगदान की दर में लगातार सुधार हो रहा है। इस साल सात अस्थि दान, सोलह कॉर्निया और दो त्वचा दान हुए हैं। अंगदान भले ही बढ़ रहा है, लेकिन प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे रोगियों की सूची अभी भी बहुत बड़ी है। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में अंगदान में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
भ्रांतियों को दूर करने की जारी है कोशिश
डॉ. शाह ने कहा कि हम लोगों को शिक्षित करने और इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चला रहे हैं। अस्पतालों में ब्रेन डेथ की पहचान को बेहतर बनाने के लिए शहर भर के इंटेंसिविस्ट और न्यूरोलॉजिस्ट के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। पिछले साल जेडटीसीसी ने हड्डी और अन्य ऊतक दान को बढ़ावा देना शुरू किया। दान की गई हड्डियां उन रोगियों के लिए आवश्यक हैं, जिन्होंने हड्डी के वैंâसर, नेक्रोसिस जैसी स्थितियों के कारण हड्डी के ऊतक खो दिए हैं। एक समय था, जब दिल दान दुर्लभ हुआ करता था, लेकिन आज हड्डी और त्वचा दान दुर्लभ है।

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