मौजूदा विधायकों को नहीं मिल रहा आवास
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य के २८८ विधायकों में से केवल कुछ को ही विधायक आवास दिए गए हैं। इनमें सबसे अधिक विधायक आवास के कमरे राज्य के मंत्रियों के नाम पर अभी भी हैं तो कुछ कमरों पर पूर्व विधायकों ने अभी तक अपना कब्जा नहीं छोड़ा है। इतना ही नहीं मंत्रियों को बंगले और फ्लैट दिए जाने के बावजूद उन्होंने विधायक आवास का कब्जा नहीं छोड़ा है। इस वजह से नए विधायकों को अभी भी आवास के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। आकाशवाणी विधायक आवास में अभी भी नौ पूर्व विधायकों ने आवास पर अपना कब्जा नहीं छोड़ा है। अधिकारियों का कहना है कि पूर्व विधायकों को नोटिस दिए जाने के बावजूद वे कमरा नहीं छोड़ रहे हैं।
मुंबई में कुल चार स्थानों पर विधायकों के रहने के लिए इमारतें हैं। इनमें से मनोरा विधायक आवास को पूरी तरह से पुनर्विकास के लिए गिरा दिया गया है, जबकि मैजेस्टिक विधायक आवास की मरम्मत का काम हाल ही में पूरा हुआ है और यहां किसी को भी कमरा नहीं दिया गया है। इसके बाद केवल विस्तारित विधायक और आकाशवाणी विधायक आवास के कमरों पर निर्भर रहकर २८८ विधायकों को आवास देने का प्रयास प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। जिन विधायकों को कमरा नहीं मिलता, उन्हें नियमानुसार एक लाख रुपए प्रति माह दिया जाता है। हालांकि, इसमें से इनकम टैक्स काटने के बाद विधायकों को ७० हजार रुपए मिलते हैं। मुंबई के विधानसभा परिसर में कहीं भी इतने सस्ते कमरे नहीं मिलते।
हंबर्डे सहित इन पूर्व विधायकों का कब्जा
आकाशवाणी विधायक आवास में पूर्व विधायक सहसराम कोरोटे के पास रूम नंबर ११६ है। इसी तरह रूम नंबर २०६ संग्राम थोपटे, ३२५ दादाराव केचे, ३२९ टेकचंद सावरकर, ४०२ मोहनराव हंबर्डे, ४२१ जयश्री जाधव, ५१४ विकास कुंभारे, ६१७ राजू पारवे व ५०१ ज्ञानराज चौगुले के पास हैं। विस्तारित विधायक आवास में प्रवीण पोटे का ३०३, अनिकेत तटकरे का १०५ पर कब्जा है।
मंत्रियों के पास भी प्रत्येक के दो कमरे
पूर्व राज्य मंत्रियों को बंगले दिए गए हैं, जबकि नए राज्य मंत्रियों को फ्लैट दिए गए हैं। कैबिनेट और राज्य मंत्रियों को मिलाकर कुल ४२ मंत्री हैं। इनमें से कई के पास आकाशवाणी और विस्तारित विधायक आवास प्रत्येक में एक-दो कमरे उनके नाम पर आरक्षित हैं। परिणामस्वरूप नए विधायकों को आवास नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में इसकी शिकायतें विधानसभा अध्यक्ष के पास की जा रही हैं।