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पंचनामा : महिलाओं को आस महंगाई का हो नाश! …केंद्रीय बजट को लेकर महिलाओं की मांग

आज वित्त मंत्री संसद में करेंगी बजट पेश

रामदिनेश यादव

देश में जबसे मोदी सरकार आई है, तबसे महंगाई डायन को बल मिला और उसने अपना रूप विकराल किया है। इससे आम जनता के जीवन से सुकून खो गया है। लोगों की आमदनी तो बढ़ी नहीं, लेकिन बढ़ते खर्च ने कटौती के लिए मजबूर कर दिया है। घर में महिलाओं को किचन का बजट संभालना, बच्चों की फीस और उनकी जरूरी चीजों के लिए बजट बिठाना मुश्किल हो गया है। कामकाजी महिलाओं को सरकार से कोई ठोस राहत अब तक नजर नहीं आई है। अब केंद्र सरकार बजट २०२४ लाने जा रही है। आज केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बजट पेश करेंगी। उनके इस बजट २०२४ पर पूरे देश की निगाहें टिकी होंगी। खासकर महिलाओं को इस बजट से राहत की अधिक आस है। घरेलू और कामकाजी महिलाएं काफी उत्साहित नजर आ रही हैं।
घर का किचन से लेकर बच्चों की पढ़ाई तक का खर्च चलाना उनके लिए कष्टदायक साबित हो रहा है। महिलाओं को घर चलाने में वित्तीय समस्याओं का निदान शायद इस बजट से मिल जाए, ऐसी उम्मीद जताई जा रही है तो कामकाजी महिलाएं भी तमाम तरह की राहत की आस लगाए बैठी हैं। महिलाओं का मानना है कि सरकार को उन्हें बिजनेस टैक्स में छूट, व्यवसाय के लिए कर्ज, शिक्षा के लिए सहूलियत के अलावा अन्य तमाम तरह की योजनाएं लाकर उन्हें विकास की मुख्य धारा में शामिल होने का मौका देना चाहिए। घरेलू और कामकाजी महिलाओं को इस बजट से बड़ी आस है वह पूरी होती है कि नहीं, यह देखना होगा।
ज्यादातर महिलाओं ने कहा कि सरकार सभी चीजों को महंगा कर रही है। सरकार को महंगाई को कम करने के लिए काम करना चाहिए। महिलाओं ने कहा कि घर चलाने से लेकर बच्चों को पढ़ाने तक हर तरफ महंगाई की मार है। सरकार सबसे पहले लोगों को इस महंगाई डायन से राहत दिलाए, फिर बाकी विषयों पर विचार करे।
बजट को लेकर कांग्रेस की मुंबई अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ ने कहा कि सरकार ने सभी चीजों को महंगा कर दिया है। सरकार को महंगाई को कम करने के लिए काम करना चाहिए। सरकार को महंगाई पर इतना तो कंट्रोल करना चाहिए, मध्यम वर्ग के लोगों का भी ध्यान रखना चाहिए। भले यह अंतरिम बजट है, फिर भी इस बजट से कई लोगों को काफी उम्मीदें हैं।
व्यवसायी दिव्या ढोले ने कहा कि कामकाजी महिलाओं को सहूलियत टैक्स में छूट की जरूरत है, ताकि वे अपने विकास की रफ्तार बढ़ा सकें। इस बजट में टैक्स छूट की सीमा में बढ़ोतरी की उम्मीद के साथ महिलाओं के लिए भी उपभोग या सेविंग स्कीम को बढ़ावा देने की उम्मीद है।
राजकोषीय घाटा कम हो तो बेहतर
सरकार अंतरिम बजट में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के ५.३ फीसदी तक सीमित रखने का लक्ष्य रख सकती है। सरकार खर्च में कटौती के बजाय पूंजीगत व्यय के सहारे वृद्धि को गति देकर राजकोषीय घाटे को कम करने की अपनी रणनीति पर कायम रहने का विकल्प चुने तो भविष्य बेहतर होगा।

गैस सिलिंडर की कीमतों में हो कटौती
अगले तीन वर्षों में मुफ्त गैस सिलिंडर कार्यक्रम के तहत ७५ लाख अतिरिक्त महिलाओं तक पहुंचाने की योजना सरकार बना सकती है। ऐसे में सरकार इस पर खर्च बढ़ा सकती है। महिला भूमि मालिक किसानों को दी जाने वाली वार्षिक रकम को बढ़ाकर १२,००० रुपए तक किया जा सकता है। इसके अलावा घरेलू गैस सिलिंडर की कीमतों में कटौती होने की संभावना भी व्यक्त की जा रही है।
-हेमाली सिन्हा, मुंबई

समाजसेवी महिलाओं पर विचार करने की जरूरत
इस बजट से बहुत ज्यादा राहत की उम्मीदें नहीं हैं, फिर भी कर और कुछ मामलों में रियायत मिल सकती है। बढ़ती महंगाई के बीच स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत मिलने वाली छूट को बढ़ाए जाने की उम्मीद करते हैं। बजट में महिला, किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों पर भी जोर दिया जा सकता है। जो महिलाएं समाजसेवा क्षेत्र में हैं, उनके लिए भी विचार करने की जरूरत है।
-श्रद्धा सिंह, मुबई

महिलाओं के लिए उचित घोषणा
महिलाओं के लिए स्वास्थ्य बीमा, सभी के लिए आवास और अन्य लोकप्रिय कार्यक्रमों को सरकार को बढ़ावा देना चाहिए। तीन वर्षों में सरकार ने हाईवे, बंदरगाहों और बिजली संयंत्रों को प्राथमिकता देते हुए खर्च में सालाना एक तिहाई से अधिक की वृद्धि की है। इससे देश की अर्थव्यवस्था में योगदान मिला है, लेकिन अब महिलाओं के लिए उचित घोषणा करने की आवश्यकता है।
-सरोज शुक्ला, मीरा रोड

मातृत्व खर्चों में राहत मिलनी चाहिए
इस बजट में ऐसा प्रावधान हो कि महिलाओं के मातृत्व खर्चों में पूरी तरह से राहत और कामकाजी माताओं के लिए भुगतान वाली छुट्टियों की अनुमति मिले। गृह निर्माताओं और युवा महिलाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रम के तहत उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा बच्चों के लिए सस्ती शिक्षा बड़े पैमाने पर समाज के विकास में भी सहायता करेगी। -सीए. खुशबू सांघवी, मुबई

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