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झांकी : कसम से खेला हो गया

अजय भट्टाचार्य

कर्नाटक में घटनकोडागु के गोनीकोप्पल पंचायत में भाजपा समर्थित सदस्यों के बहुमत के बावजूद कांग्रेस के प्रमोद गणपति और एम मंजुला दोनों को ११-११ वोट मिलने के बाद दूसरे कार्यकाल के लिए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुना गया। पंचायत में कुल २१ सदस्य हैं, जिनमें १२ भाजपा समर्थित निर्वाचित सदस्य शामिल हैं। भाजपा को स्पष्ट जीत की उम्मीद थी, लेकिन भाजपा समर्थित उम्मीदवार के. राजेश और जीके गीता क्रमश: १० और नौ वोट पाने के बाद हार गए। प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने के कारण गीता के समर्थन में एक वोट खारिज कर दिया गया। इस घटनाक्रम के बाद भाजपा समर्थित १२ सदस्यों ने हथुरु में बेक्केसेड्लुरु मंदिर और भद्रकाली मंदिर में देवताओं के सामने शपथ लेकर कहा कि उन्होंने भाजपा को ही वोट दिया है। इस बीच पोन्नमपेट ग्राम पंचायत में भी यही घटना दोहराई गई, जिसमें १२ भाजपा समर्थित निर्वाचित सदस्य हैं। मंगलवार सुबह चुनाव से ठीक पहले भाजपा समर्थित १२ सदस्यों को पोन्नमपेट के बसवेश्वर मंदिर में उन्हें शपथ दिलाई गई कि वे अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए भाजपा समर्थित उम्मीदवारों को वोट देंगे। हालांकि, यहां भी खेला हुआ और कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार अनिरा हरीश और ए राशिद कुल २० वोटों में से क्रमश: १२ और ११ वोट हासिल करने के बाद दूसरे पंचायत कार्यकाल के लिए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए चुने गए।

साजिश…..!
नादिरशाही अपने सबसे बेशर्म चेहरे के साथ खड़ी है और आम चुनाव से पहले इस बार विपक्ष को बदनाम करने के लिए ऐसी साजिश कल्पना से परे है। संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले ५ बेरोजगार युवाओं को बिजली के शॉक दिए गए। उन्हें पुलिस हिरासत में यातनाएं देकर दबाव डाला गया कि वे विपक्षी दलों और नेताओं का नाम लें। हैरत की बात यह है कि इन युवाओं का गैलरी पास भाजपा के सांसद ने बनवाया था। इस सांसद को तो क्लीन चिट दे दी गई पर विपक्ष को केस में फंसाने की साजिश चल रही है। संसद हमले के पांच आरोपियों मनोरंजन डी., सागर शर्मा, ललित झा, अमोल शिंदे और महेश कुमावत ने दिल्ली की एक अदालत में बुधवार को अर्जी देकर कहा है कि पुलिस हिरासत में उन्हें यातनाएं दी गर्इं और यह कहने के लिए दवाब डाला गया कि उनका विपक्षी दलों से संबंध है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि पुलिस ने उनसे ७० सादे कागजों पर जबरदस्ती दस्तखत भी करवाए। ध्यान रहे कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बीते दिनों आरोप लगाया था कि लोकसभा चुनाव जीतने के लिए सत्तारूढ़ दल किसी भी हद तक जाकर पुलवामा हमले जैसा कांड करवाने सहित ऐसे हथकंडे अपना सकता है। इस घटना पर जागरूक नागरिकों का मानना है कि देश की सर्वोच्च अदालत को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए, क्योंकि पुलिस घटना की जांच करने की जगह विपक्ष को फंसाने की घिनौनी साजिश रच रही है।

राज्यसभा से बाहर होगी टीडीपी
अपनी स्थापना के बाद पहली बार तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के एकमात्र सांसद कनकमेदाला रवींद्र कुमार का कार्यकाल अप्रैल में समाप्त होने के बाद राज्यसभा में उनकी उपस्थिति नहीं रह जाएगी। आंध्र प्रदेश की तीन सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव २७ फरवरी को होंगे। टीडीपी के पास विधानसभा में सिर्फ २२ विधायकों की ताकत है, उसे राज्यसभा सीट जीतने के लिए ४४ वोटों की आवश्यकता होगी। टीडीपी के लिए एक भी राज्यसभा सीट जीतना एक कठिन काम लगता है। लेकिन पार्टी नेतृत्व वाईएसआरसी विधायकों के समर्थन पर भरोसा कर रहा है, जो सत्ताधारी पार्टी से नाखुश हैं क्यों वे चाहते हैं कि या तो उन्हें हटा दिया जाए या उन्हें विधान सभा चुनाव पहले अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया जाए। पिछले पांच वर्षों में कई मौकों पर इन राज्यसभा सीटों के लिए टीडीपी ने चुनाव लड़ने से परहेज किया, जिसके परिणामस्वरूप सत्तारूढ़ वाईएसआरसी द्वारा नामित उम्मीदवार सर्वसम्मति से जीत गए। जब २०२० में संसद के ऊपरी सदन में चार सीटें खाली हो गर्इं तो टीडीपी ने पोलित ब्यूरो सदस्य वर्ला रमैया को नामित किया था और अपने चार विधायकों को व्हिप जारी किया था, जिन्होंने वाईएसआरसी के प्रति अपनी वफादारी बदल ली थी। संभावना है कि पार्टी वर्ला को फिर से नामांकित कर सकती है। वर्तमान में राज्य विधानसभा में सदस्यों की संख्या १७४ है। सत्तारूढ़ वाईएस आरसी के पास १५१ सीटें हैं और साथ ही जन सेना पार्टी के एकमात्र विधायक का समर्थन भी है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

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