उल्हासनगर
उल्हासनगर विश्व का पहला ऐसा अजूबा शहर होगा, जहां रिश्वत और भ्रष्टाचार के बलबूते शहर को लूटने का कार्य जारी है। उल्हासनगर में सीमेंट की सड़कों को मजबूत बताकर उन्हें घटिया बनाया जाता है और कुछ वर्षों में ही सीमेंट की टूटी सड़कों पर डांबर का लेप लगाया जाता है। ताज्जुब की बात ये है कि घटिया सड़क बनाकर शहर की खटिया खड़ी करनेवाले ठेकेदार, अधिकारी और नेताओं पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जाती है। भ्रष्ट कार्य करनेवाले और उसे बढ़ावा देनेवालों को शहर का मसीहा मानकर उनकी जय-जयकार की जाती है। ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर महेश यादव ने उल्हासनगर की सड़कों की दशा का बयान किया है।
महेश यादव का कहना है कि उल्हासनगर शहर किसी समय एक ईमानदारों और देशभक्तों का शहर माना जाता था। बदलते समय के साथ जिस प्रकार हवस ने लोगों को भ्रष्ट मार्ग पर चलने के लिए मजबूर किया है, उससे उल्हासनगर भी अछूता नहीं है, बल्कि वो अपनी चरम सीमा को भी पार कर गया है। उल्हासनगर के ठेकेदारों ने तो दुहाई देना भी शुरू कर दिया है कि जब ४० से ४५ प्रतिशत कमीशन अर्थात लोगों को रिश्वत देनी पड़ेगी तो गुणवत्ता की अपेक्षा करना उचित नहीं है। बड़े से बड़े नेताओं को काम के बदले रिश्वत की चाह रहती है। रिश्वत लेनेवाला नेता और अधिकारी क्या बोल सकता है। यही कारण है कि उल्हासनगर शहर हर मामले में बर्बादी की राह पर है। एक समय था पूर्व ईमानदार आयुक्त राजेंद्र निंभालकर और सुधाकर देशमुख ने घोषणा की थी कि काम पास करने से पहले किया गया काम कब किया गया, उसकी जांच के बाद ही उस जगह पर दूसरा काम पास किया जाएगा। सख्त आयुक्त के उपर्युक्त आदेश की घोषणा के चलते उल्हासनगर के नेता और ठेकेदारों यहां तक की मनपा के भ्रष्ट अधिकारियों में हड़कंप मच गया था। आज उल्हासनगर की सड़कें सरेआम चिल्ला-चिल्लाकर दुहाई दे रही हैं कि उल्हासनगर के जितना रिश्वतखोरी, भ्रष्ट्राचार शायद ही और किसी शहर में होगा। उल्हासनगर की सड़कों की गुणवत्ता को लेकर निष्पक्ष जांच की जाए तो उल्हासनगर को दुनिया के पहले भ्रष्ट शहर की उपाधि से नवाजा जाएगा। सख्त, ईमानदार आयुक्त रहा तो उल्हासनगर के ठेकेदार व काफी अधिकारी जेल के कटघरे में होंगे। उल्हासनगर के संपर्क में आनेवाले कुछ चुने नेता भी सलाखों के पीछे जा सकते हैं, जो अपने आपको गद्दारी के सफेद कपड़ों के नीचे छुपा रहे हैं।
उल्हासनगर में सीमेंट की सड़कों पर प्रतिवर्ष डांबर का लेप लगाया जा रहा है। सड़क पर लगाया जानेवाला लेप उल्हासनगर के लोगों के साथ ठेकेदार, अधिकारी और नेताओं द्वारा किया गया विश्वासघात है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यदि ईमानदार हैं, तो बिना पक्षपात के उल्हासनगर के लोगों के साथ धोखा करनेवाले लोगों की जांच कर दोषियों को कठोर दंड दें।