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शिंदे-फडणवीस में हेल्थ वॉर! … अब मंत्रालय में खुलेगा डिप्टी सीएम का मदद कक्ष

मरीजों की आर्थिक सहायता के लिए पहले से ही मौजूद है ‘मुख्यमंत्री सहायता कोष’
सामना संवाददाता / मुंबई
जब से राज्य में एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस की ‘ईडी’ सरकार बनी है, तब से ही दोनों नेताओं के बीच अक्सर टशन देखने को मिलता है। सीएम रह चुके देवेंद्र फडणवीस का चेहरा बता देता है कि वे शिंदे को किस तरह झेल रहे हैं और जब भी मौका मिलता है वे अपनी वरिष्ठता बताने से बाज नहीं आते। अब जबकि लोकसभा चुनाव नजदीक आ गया है तो दोनों के बीच ‘हेल्थ वॉर’ देखने को मिल रहा है। इसके तहत अब मंत्रालय में डिप्टी सीएम का मदद कक्ष खुलने जा रहा है।
बता दें कि राज्य में पहले से ही ‘मुख्यमंत्री सहायता कोष’ है जिसके जरिए कमजोर वर्ग के मरीजों की आर्थिक मदद की जाती है। अब फडणवीस के लिए भी इसी तर्ज पर मंत्रालय में सहायता कक्ष बनाया जा रहा है, जहां पात्र मरीजों को मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान की जाएगी। इस संबंध में फडणवीस के कार्यालय के सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की स्वास्थ्य सेवा के लिए मुख्यमंत्री सहायता कोष बनाया गया है।
अब उपमुख्यमंत्री कार्यालय के माध्यम से एक अलग चिकित्सा सहायता कक्ष स्थापित किया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि उद्घाटन के लिए कक्ष का काम तेजी से चल रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को उपचार व मेडिकल सर्जरी के लिए आंशिक रूप से मुख्यमंत्री सहायता कोष से मदद दी जाती है, जबकि डिप्टी सीएम कक्ष से पूरा इलाज निशुल्क होगा। अब राजनीतिक गलियारों में यह सवाल पूछा जा रहा है कि एक ही काम के लिए सरकार में दो अलग-अलग चूल्हे क्यों बनाए जा रहे हैं? डिप्टी सीएम का कक्ष राज्य के ४६५ अस्पतालों में गरीब मरीजों के लिए आरक्षित १० प्रतिशत बिस्तरों का लाभ जरूरतमंद मरीजों को उपलब्ध कराने में सहायता करेगा। २०१४ से २०१९ तक सीएम रहते फडणवीस ने अनुभव किया है कि गरीब मरीजों की मदद करने का श्रेय राजनीतिक रूप से कितना फायदेमंद है। अब चर्चा है कि सरकारी मदद में शिंदे गुट को ज्यादा श्रेय मिलता देख फडणवीस ने एक समानांतर सेल का गठन किया है। फडणवीrस को इसका श्रेय मिले इसके लिए इस स्वास्थ्य देखभाल कक्ष का सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा। यह कक्ष मंत्रालय की पांचवीं मंजिल पर बनाया जा रहा है। सूत्रों ने इस खबर की पुष्टि की है कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी कार्यालय के जरिए इसका प्रचार-प्रसार किया जाएगा। मुख्यमंत्री सहायता कोष के जरिए चिकित्सा सर्जरी, उपचार कराने वाले गरीबों को आंशिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यानी अगर खर्च २० हजार से ५ लाख है तो १० हजार से ५० हजार रुपए तक मदद मिलती है। यहां बता देना जरूरी है कि पात्र मरीज ही मुख्यमंत्री सहायता कोष का लाभ उठा सकते हैं। जहां तक उपमुख्यमंत्री सहायता कक्ष का सवाल है तो धर्मार्थ अस्पतालों में कुल बिस्तरों का १० फीसदी गरीब मरीजों के मुफ्त इलाज के लिए रियायती दरों पर उपलब्ध कराया जाएगा। मरीजों के परिवार की वार्षिक आय सीमा १ लाख ८० हजार तक होने पर मुफ्त इलाज मिलेगा। यदि वार्षिक आय सीमा १ लाख ८० से ३ लाख ६० हजार के बीच है, तो उप मुख्यमंत्री कार्यालय से ५० प्रतिशत छूट पर उपचार सेवा उपलब्ध होगी।

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