मुख्यपृष्ठसमाचारठंडे रेगिस्तान लद्दाख में आग भड़की

ठंडे रेगिस्तान लद्दाख में आग भड़की

– राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में स्थान पाने को अब ‘लेह चलो’ के साथ ही लद्दाख बंद

सुरेश एस डुग्गर / जम्मू

ठंडे रेगिस्तान लद्दाख में माहौल गर्म हो गया है। लद्दाख की जनता ने राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में स्थान पाने को अब जिस ‘लेह चलो’ का आह्वान किया था, उसमें अब कल लद्दाख बंद को भी शामिल कर लिया गया हैै। इसमें भाजपा की ओर से कोई समर्थन नहीं दिया जा रहा है।
जिन मुद्दों को लेकर लद्दाख में आंदोलन तेज हुआ है, उनमें लद्दाख को राज्य बनाना, इसे संविधान के छठे शेड्यूल के दायरे में लाना, सिक्किम की तर्ज पर लद्दाख में विधानसभा का गठन, क्षेत्र में सरकारी नौकरियों पर सिर्फ लद्दाख के युवाओं को नियुक्त करना व लद्दाख के लिए एक की जगह दो संसदीय सीटें बनाकर लेह व करगिल के लोगों की उम्मीदों को पूरा करना मुख्य है। दरअसल, जो यूटी का दर्जा बिना विधानसभा के मिला वह अब लद्दाखवासियों को रास नहीं आ रहा है। यूटी मिलने के कुछ ही महीनों के बाद उन्होंने आंदोलन छेड़ दिया था। इस आंदोलन ने अब हवा पकड़नी आरंभ की है और यह अब उतनी ही तेज हो गई है, जो कभी यूटी पाने की मांग ने पकड़ी थी। जानकारी के लिए लेह के बौद्धों ने 30 सालों तक यूटी का दर्जा पाने आंदोलन किया था, पर राज्य का दर्जा पाने को करगिल भी उसके साथ है। बस भारतीय जनता पार्टी का साथ इस मांग में उन्हें नहीं मिल पा रहा है।
कई सालों की जंग के बाद लद्दाखियों को जो यूटी का दर्जा मिला, वे उससे नाखुश हैं। यही कारण है कि अब उन्होंने अपनी मांगों को लेकर हुंकार भरते हुए आंदोलन की शुरुआत करते हुए 3 फरवरी को लेह चलो व लद्दाख बंद का आह्वान किया है। दरअसल, उनका कहना है कि केंद्र सरकार ने उनकी मांगों का मसौदा स्वीकृत करने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया है
और अब लद्दाख की जनता अब अपनी मांगों के प्रति खुल कर मैदान में आ गई है। केंद्र सरकार से मुलाकातों के बाद केंद्र के आग्रह पर लद्दाख के नेताओं ने केंद्र को मसौदा तो सौंपा। उस पर कोई सकारात्मक रुख नहीं अपनाया गया है, जिसमें लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग के साथ ही 6वीं अनुसूची को भी लागू करने की मांग की गई थी, जबकि ऐसा न होने पर आंदोलन तेज करने की धमकी व चेतावनी दी गई थी।
जानकारी के लिए लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा और 6वीं अनुसूची की मांग करते हुए लेह और करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस की सर्वाेच्च संस्था ने कुछ दिन पहले गृह मंत्रालय को एक विस्तृत मसौदा सौंपा था। शीर्ष संस्था के सह-अध्यक्ष चेरिंग दोरजे ने पत्रकारों को यह जानकारी दी थी। मसौदे में बताया गया था कि इतिहास, सामरिक महत्व, पर्यावरणीय महत्व को ध्यान में रखते हुए; उत्तर पूर्व के अन्य राज्यों के साथ समानता और विभिन्न अन्य मापदंडों के आधार पर, लद्दाख राज्य का दर्जा पाने का हकदार है और अब विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों और लेह एपेक्स बाडी (एलएबी) ने लोगों से 3 फरवरी, 2024 को निर्धारित ‘लेह चलो’ आंदोलन में बड़ी संख्या में भाग लेने की अपील की है। एक बयान में कहा गया है कि लेह के एनडीएस स्टेडियम में 3 फरवरी को सुबह 10 बजे के आस-पास शुरू होने वाले विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य छठी अनुसूची से संबंधित प्रमुख मुद्दों के समाधान के लिए सरकार पर दबाव डालना है।
लद्दाखी नेता कहते हैं कि लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत लाने से न केवल लद्दाख की अनुसूचित जनजातियों के भूमि अधिकारों के लिए विशेष सुरक्षा की गारंटी होगी, बल्कि उन्हें अद्वितीय के अनुसार, अपने कानून बनाने में भी मदद मिलेगी। विभिन्न पार्टियों व सामाजिक संगठनों से मिल कर बनाए गए सर्वाेच्च निकाय ने लद्दाख के लिए लोक सेवा आयोग की भी मांग की है, क्योंकि जम्मू और कश्मीर के पुनर्गठन अधिनियम में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए भी यही प्रावधान है, लेकिन इसी तरह के प्रावधानों को लद्दाख तक नहीं बढ़ाया गया, जिसके कारण छात्रों के लिए राजपत्रित पदों के लिए अवसर उपलब्ध नहीं हो सके। लद्दाख का दायरा सीमित हो गया है।

अन्य समाचार