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जगद्गुरु रामानंदाचार्य जी के प्राकट्य महोत्सव के समापन पर आयोजित हुआ संत सम्मेलन… निकली भव्य शोभायात्रा

उमेश गुप्ता / वाराणसी

श्री रामानंद विश्व हितकारिणी परिषद काशी व वैष्णव विरक्त संत समाज के तत्वावधान में जगद्गुरु रामानंदाचार्य प्राकट्य महोत्सव व श्रीराम कथा के समापन अवसर पर श्रीराम मंदिर गुरुधाम वाराणसी में आयोजित एक वृहद विशाल सभा में अनेक जगतगुरु, विद्वानों, संतों का आगमन हुआ और अनेक संतों ने आद्यजगद्गुरु श्री मद रामानंदाचार्य के प्रति अपने-अपने विचारों को व्यक्त किया। पूज्य महंत अवध किशोर दास महाराज ने कहा कि श्री रामानंदाचार्य जी महाराज ने पाखंडवाद का खंडन किया और सबको पूजा का अधिकार दिलाया।
श्री रामानंदाचार्य जी ने सबका कल्याण करने के लिए अवतार लिया था। राम दास जी महाराज जी ने कहा कि जब हमारे समाज का एकात्म होगा, तभी राष्ट्र की उन्नति हो सकती है। अखिल भारतीय संत समाज के मंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती जी ने कहा कि श्री रामानंदाचार्य जी ने कभी भी जात-पात की बात ही नहीं की। प्रयाग में जन्म लिया। काशी को कर्म भूमि बनाया। काशी में रामानंदाचार्य जी की एक विशाल स्थान होना चाहिए, जो सबको सन्मार्ग की शिक्षा देती रहेगी। शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती जी ने कहा कि मुगलों के समय छिन्न-भिन्न हो रही हमारे समाज में रामानंद जी का प्रादुरभाव नहीं हुआ होता तो आज हमारा अस्तित्व ही समाप्त हो चुका होता। यह हमारा संत समाज सदैव आद्यजगतगुरु श्री रामानंदाचार्य जी का ऋणी रहेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जगतगुरु अनंतानंद पद प्रतिष्ठित स्वामी डॉ. राम कमल दास वेदांती जी महाराज जी ने किया।
इससे पूर्व प्रातः में एक भव्य व विशाल शोभायात्रा अस्सी घाट से प्रारंभ होकर रविदास गेट, दुर्गा मंदिर, कबीर नगर, खोजवां होते हुए राम मंदिर गुरुधाम पहुंचा। इस शोभायात्रा में प्रमुख रूप से जगद्गुरू श्री रामानंदाचार्य जी का एक भव्यतम चित्रपट एक विशाल पालकी पर विराजमान कर काशी के रामानंदसम्प्रदानुयायी महंत, श्रीमहंत आदि अपने कंधे पर उठा कर चल रहे थे। आगे आगे डमरूदल, घुड़सवार व सैकड़ों की संख्या में महिलाएं सिर पर मंगल कलश धारण किए थीं। उनके पीछे दर्जनों झांकियां तथा विभिन्न प्रांतों से आहुत की गई नर्तक मण्डलियां भी नृत्य करते हुए चल रहे थे। सैकड़ों की संख्या में संस्कृत के छात्र, बटुक ब्रह्मचारी भी वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ शोभायात्रा को अत्यंत दिव्यतम स्वरूप प्रदान कर रहे थे।। बैण्डबाजों की मंगल ध्वनि तथा शहनाई की मधुर ध्वनि के साथ-साथ सैकड़ों भक्तों की अगुवाई में यह शोभायात्रा राम मंदिर पहुंचा।

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