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मनपा लेगी कर्ज, टूटेगी एफडी, बढ़ेगा टैक्स! …महंगाई में मुंबईकरों का आटा गीला

रामदिनेश यादव / मुंबई
जनप्रतिनिधियों के अभाव में कल मुंबई महानगरपालिका ने प्रशासकीय वर्चस्व वाला बजट पेश किया। वर्ष २०२४-२५ के लिए प्रस्तुत इस बजट में बारीकी से छानबीन करने के बाद भी कुछ समाधानकारक नजर नहीं आया। आम मुंबईकरों के हिस्से में कोई सहूलियत नहीं दिखी। बजट में प्रशासन ने जो प्रावधान किए हैं, उन्हें देखकर तो लग रहा है कि मुंबई महानगरपालिका को किसी न किसी वजह से कर्ज लेने, एफडी तोड़ने और टैक्स बढ़ाने की जल्दबाजी है। ऐसे में इतना तो तय है कि इस महंगाई में आज मुंबईकरों का आटा गीला हुए बिना नहीं रहेगा।

न टैक्स ले पाई, न अनुदान! 
मुंबई मनपा का बजट में दिखा बंटाधार!
महानगर मुंबई मनपा का शुक्रवार को बजट पेश हुआ। बजट के अनुसार, मनपा न तो सही तरह से टैक्स वसूल पाई है और न ही केंद्र व राज्य सरकार से अनुदान वसूल पाई है, जबकि खर्च का आंकड़ा भारी है। ऐसे में मनपा को भारी नुकसान होना तय है। मनपा के बजट में बंटाधार दिख रहा है। अपने नुकसान का बोझ मनपा मुंबईकरों के सिर पर थोपने की तैयारी में दिख रही है।
पिछले वर्ष ३३,२९०.०३ करोड़ रुपए का राजस्व आय का लक्ष्य था, जबकि ३२,८९७.६८ करोड़ की आय होने की उम्मीद जताई है। वास्तव में अब तक मात्र १९,२३१.५५ करोड़ रुपए ही आय हो पाई है। नुकसान भरपाई के लिए मनपा पूंजीगत निवेश के हिस्से को बढ़ाया है। राज्य की `घाती’ सरकार और केंद्र सरकार ने मनपा को नुकसान भरपाई व विभिन्न योजनाओं के निधि को अब भी रोके रखा है। तो मनपा राजस्व का जरिया बनाने में भी फेल हुई है। पिछले साल ६ हजार करोड़ प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने के लक्ष्य था, लेकिन मात्र ६०० करोड़ रुपए ही वसूल पाई है। ऐसे ही जकात कर की नुकसान भरपाई का भी राज्य सरकार के पास २,३०० करोड़ रुपए से अधिक का बकाया है, केंद्र सरकार के पास जीएसटी और राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के पास ५,९४३ करोड़ रुपए बकाया है। मनपा ने यहां अपनी आमदनी का कोई ठोस जरिया नहीं बताया है। इस बजट से मनपा पर खर्च का बोझ बढ़ेगा, भविष्य में कर्ज लेने की नौबत आएगी तो मुंबईकरों पर गैर जरूरी टैक्स लड़ने को स्थिति बनेगी। ऐसे में यह बजट मुंबईकरों को सुंदर सपने जरूर दिखा रहा है लेकिन उसकी कीमत उन्हें ही अदा करनी होगी। यह बजट मुंबईकरों के लिए बंटाधार करने वाला बजट साबित होगा। ऐसा अनुमान जताया जा रहा है।
मनपा का यह बजट पूरी तरह से चुनावी बजट माना जा रहा है। इस बजट में चुनावी तड़का लगाते हुए सीधे १०.५ फीसदी की वृद्धि की गई है, जबकि इसमें किस तरीके से आय होगी उसे लेकर कोई विशेष विवरण नहीं दिया गया। मनपा खर्च तो जमकर कर रही है। सभी परियोजनाओं के लिए निधि दी गई है। लेकिन आय कहां से होगी, इनकम कहां से जुटाएंगे, इसका कोई विवरण नहीं दिया गया है। यह बजट नुकसान का बजट है। साफ है कि इससे मनपा की तिजोरी पर भार पड़ेगा। वैसे भी मनपा ने पिछले दो वर्षों से अपनी आय को बढ़ाने की बजाय पूंजीगत खर्च पर जोर दिया है। ऐसे में आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया होने की स्थिति में मनपा का यह बजट है। भारी-भरकम खर्च को देखते हुए स्पष्ट है कि मनपा की नजर में कर्ज लेना और लोगों पर टैक्स के वृद्धि करना विकल्प होगा। इसके अलावा मनपा के एफडी को भी तोड़ा जा सकता है। ८४ हजार करोड़ रुपए के एफडी को मनपा के प्रशासक तोड़ सकते हैं। हाल फिलहाल में मनपा ने ५ हजार करोड़ रुपए इस एफडी से निकाल है।

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