मुख्यपृष्ठखेलखेल-खिलाड़ी : असाधारण कौशल के धनी और धैर्यवान यशस्वी!

खेल-खिलाड़ी : असाधारण कौशल के धनी और धैर्यवान यशस्वी!

संजय कुमार
असाधारण कौशल और धैर्य के साथ खेलने वाले सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल ने दोहरा शतक जड़ते हुए क्रिकेट प्रेमियों का दिल जीत लिया है। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ विशाखापत्तनम में खेले जा रहे शृंखला के दूसरे टेस्ट मैच के पहले दिन अपना शतक छक्का लगाकर पूरा किया और फिर दूसरे दिन लगातार २ गेंदों पर छक्का और चौका जड़कर दोहरा शतक बनाया।
यशस्वी जब उत्तर प्रदेश के भदोही से २०१२ में मुंबई आए, तब उनकी उम्र मात्र ११ साल थी और शहर में उनके पास रहने के लिए ढंग की कोई जगह भी नहीं थी। उनका अधिकतर समय क्रिकेट के मैदान पर बीता करता था। इस वजह से उन्हें उस डेयरी की दुकान से भी बाहर कर दिया गया, जहां वो सोया करते थे। इस घटना के बाद मैदान कर्मियों ने उन्हें आजाद मैदान में मुस्लिम यूनाइटेड क्लब के तंबू में रहने की जगह दे दी थी। इस तंबू में उन्हें दोपहर और रात का खाना दिया जाता था, इसके बदले में उन्हें कर्मचारियों के लिए रोटियां बनानी पड़ती थी। इस कठिन दौर में भी, ‘क्रिकेट’ यशस्वी का जुनून बना रहा।
यशस्वी ने क्रिकेट खेलना जारी रखा मगर, पैसे नहीं होने की बजह से उनके हालात नहीं सुधरे। एक स्पोर्ट्स चैनल को दिए इंटरव्यू में यशस्वी ने कहा था कि वो सिर्फ क्रिकेट खेलना और मुंबई का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं। आगे अपनी व्यथा बताते हुए उन्होंने कहा था कि जिस तंबू में रहते थे वहां बिजली, पानी और शौचालय तक की सुविधा नहीं थी। पैसों की कमी को दूर करते हुए आवश्यक जरूरतें पूरी करने के लिए उन्होंने एक खाद्य विक्रेता के साथ काम भी किया। इस दौरान कभी-कभी उनकी टीम के साथी खिलाड़ी भी वहां आ जाया करते थे और उन्हें उनकी सेवा करनी पड़ती थी। यशस्वी ने ऐसी परिस्थिति को भयावह और अत्यंत निराशाजनक बताया, साथ में यह भी कहा कि अपने सपने को हकीकत में बदलने के लिए यह आवश्यक था।
इसी दौर में एक दिन यशस्वी का भाग्योदय हुआ, जब कोच ज्वाला सिंह उनकी बल्लेबाजी से बहुत प्रभावित हो गए। ज्वाला सिंह न सिर्फ यशस्वी को कोच करने लगे, बल्कि अपने साथ रखने भी लगे। छत मिलने और भोजन की चिंता मिटने के साथ जल्दी ही यशस्वी की प्रतिभा निखरने लगी। जब एक स्कूल क्रिकेट मैच में यशस्वी ने ३१९ रनों की नाबाद पारी खेली, तब लिमका बुक ऑफ रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज कर लिया गया। इसके बाद यशस्वी को ‘मुंबई अंडर-१६’ टीम में और फिर ‘इंडिया अंडर-१९’ टीम में जगह मिल गई। २०१८ में ढाका में खेले गए ‘अंडर-१९’ एशिया कप के फाइनल में श्रीलंका को हराने में यशस्वी ने शतकीय पारी खेली। इससे पहले ईरानी ट्रॉफी, दिलीप ट्रॉफी और विजय हजारे ट्रॉफी में शतक बना चुके यशस्वी के इस शानदार प्रदर्शन के बाद ही कोच ज्वाला सिंह ने उनके टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व करने की उम्मीद जता दी थी।
उन्होंने कहा था, `मुझे पूरा यकीन है कि यशस्वी भारत के लिए खेलेंगे।’ कोच ज्वाला सिंह का विश्वास सच हो गया। घरेलू क्रिकेट में मुंबई की तरफ से और आईपीएल में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने वाले यशस्वी ने जून २०२३ में कैरियर का पहला टेस्ट मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ खेलते हुए १७१ रन की लंबी पारी खेली। कल शनिवार को उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ २०९ रनों की लंबी पारी खेली। यशस्वी से ऐसी धैर्य भरी और लंबी पारी की आगे भी पूरी उम्मीद की जा सकती है, क्योंकि उनके पास तेज और स्पिन गेंदबाजों को खेलने और उन पर हावी हो जाने के सारे तकनीक हैं।

अन्य समाचार