मुख्यपृष्ठग्लैमर‘उनका साथ मेरे लिए अनमोल है!’-मेघना गुलजार

‘उनका साथ मेरे लिए अनमोल है!’-मेघना गुलजार

राखी-गुलजार की बेटी मेघना गुलजार आज किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। फिल्म ‘तलवार’ की सफलता के बाद ‘राजी’, ‘छपाक’ और ‘सैम बहादुर’ जैसी उनकी फिल्मों को बेहद सराहना मिली। थिएटरों में सफलता मिलने के बाद ‘सैम बहादुर’ इस वक्त ‘जी फाइव’ पर रिलीज हुई है। पेश है, मेघना गुलजार से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-

फिल्म ‘सैम बहादुर’ के साथ अगर फिल्म ‘एनिमल’ नहीं रिलीज हुई होती तो क्या ‘सैम बहादुर’ का कलेक्शन और बढ़ता?
मेरा मानना है कि उतना ही मिलता है जितना किस्मत में लिखा होता है। मुझे इस बात की खुशी है कि ‘एनिमल’ जैसे बड़े बजट वाली फिल्म ‘सैम बहादुर’ के साथ रिलीज हुई। इसके बावजूद दर्शकों ने ‘सैम बहादुर’ को न केवल प्यार दिया, बल्कि फिल्म की सराहना भी की। आज के टफ कॉम्पिटिशन के दौर में फिल्म ‘सैम बहादुर’ का ‘एनिमल’ के सामने ५० दिन सफलतापूर्वक चलना बड़ी बात है। थिअट्रिकल रिलीज के बाद अब इसे ओटीटी पर ‘जी फाइव’ ने रिलीज किया है। एक साथ १२२ देशों के दर्शक इस फिल्म को देख रहे हैं। इससे मुझे जो रिस्पॉन्स मिला उससे मैं अभिभूत हूं।

फिल्म में सैम बहादुर के किरदार के लिए आपने विकी कौशल का चुनाव कैसे किया?
इस पीढ़ी के बेहद अच्छे और संजीदा एक्टर्स में से एक हैं विकी। मैंने फिल्म ‘राजी’ के लिए जब विकी को आलिया भट्ट के साथ साइन किया तो मुझे विकी की काबिलियत का अंदाजा हुआ। विकी ने एक पाकिस्तानी मिलिट्री अधिकारी का किरदार निभाया था और विकी के हिस्से ज्यादा संवाद नहीं थे। इसके बावजूद विकी ने बिना संवाद के अपने एक्सप्रेशंस से गजब का परफॉर्मेंस दिया। ‘राजी’ की शूटिंग के दौरान मैंने विकी को ‘सैम बहादुर’ की कहानी संक्षेप में बताई, जो विकी को बेहद पसंद आई और उन्होंने उसी वक्त कह दिया कि वे इस किरदार को निभाना चाहेंगे।

आपके पति और बेटे का कितना सहयोग रहा?
मेरे पति गोविंद संधू बिजनेसमैन हैं और इंडस्ट्री से उनका कोई सरोकार नहीं है। हम दोनों जेवियर्स में साथ पढ़ते थे। हमारी जर्नी साथ रही उस वक्त लेकिन अलग दिशाओं में। गोविंद का सपोर्ट मुझे शादी के समय से ही मिलता रहा। हमारे विवाह को २० वर्ष हो चुके हैं। हमारा रिश्ता प्यार-आदर और सम्मान का है। मेरी अनुपस्थिति में गोविंद घर और बेटे का पूरा ध्यान रखते हैं। मेरे काम के प्रति मुझे कुछ अच्छे सजेशन भी देते हैं। उनका साथ मेरे लिए अनमोल है।

एक सेलेब्रिटी पिता गुलजार की बेटी होने के आपके अनुभव कैसे हैं?
मेरी मां राखी एक संवेदनशील अभिनेत्री रही हैं। ‘तपस्या’ से लेकर ‘बसेरा’ और ‘शक्ति’ से लेकर ‘जुर्माना’ तक मां ने कई यादगार फिल्में दी हैं। शूटिंग खत्म होते ही मां अपना मेकअप हटाकर एक नॉर्मल गृहिणी के अवतार में हुआ करती थीं। मेरे पापा गुलजार एक सेलेब्रिटी लेखक हैं, छोटी होने के कारण मैं उनकी इस पहचान से अनजान थी। जैसे-जैसे मैं बड़ी होती गई मुझे उनके कद का पता चला। मैं अपनी फिल्मों के गीत पापा से ही लिखवाती हूं। अगर मुझे उनका लिखा गीत पसंद नहीं आता तो मैं उन्हें गीत को दोबारा लिखने को कहती हूं। कभी अंतरा तो कभी मुखड़ा फिर लिखिए कह देती हूं। यह मेरा हक, मेरा अधिकार है ऐसा मैं मानती हूं। मुझे कभी पापा ने मना नहीं किया क्योंकि मैं उनकी लाड़ली जो हूं।

क्या कभी आपसे गुलजार साहब की आर्ग्युमेंट नहीं हुई?
पापा अपना पहलू सामने रखते हैं और उनकी बात मेरे गले नहीं उतरी तो मैं बहस करने लगती हूं। अंत में पापा कहते हैं, ओके डायरेक्टर साहिबा, आपकी बात मैं स्वीकार करता हूं। वो कहते हैं मेघना तुम मुझसे काफी छोटी हो और मेरी बेटी हो लेकिन जब बात तुम्हारी फिल्म की हो तो मैं यही कहूंगा कि डायरेक्टर इज वैâप्टन ऑफ द शिप और डायरेक्टर की बात पूरी टीम को सुननी चाहिए। बस, यही वजह है मेरी बात पापा सहर्ष मानते हैं। यह सच है कि मेरी फिल्मों की सिचुएशन अक्सर पेचीदा होती है, ऐसे मुश्किल सिचुएशन पर गीत लिखना आसान नहीं होता लेकिन एक पापा ही हैं जो हर मुश्किल सिचुएशन पर गीत लिख देते हैं।

क्या कभी अभिनेत्री बनने का खयाल आपके मन में नहीं आया?
बिल्कुल भी नहीं। अभिनय की दुनिया के काम करनेवाले कलाकारों की हमेशा स्क्रूटिनी की जाती है, दर्शक, मीडिया सहित सभी का बारीकी से ध्यान होता है कि वैâसे दिखते हैं सेलेब्रिटी, क्या बोल रहे हैं वो? मैं स्पॉटलाइट से दूर रहना चाहती हूं। मेरा मानना है कि मैं नहीं मेरा काम लोगों को नजर आए।

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