मुख्यपृष्ठनए समाचारसमाज के सिपाही : विद्यादान है सबसे बड़ी समाज सेवा

समाज के सिपाही : विद्यादान है सबसे बड़ी समाज सेवा

रवींद्र मिश्रा

समाज हित में की जानेवाली सभी सेवाओं में विद्यादान का भी अपना एक महत्व है। इसीलिए कहा गया है कि ‘विद्या धनं सर्व धनं प्रधानम्।’ यह एक ऐसा धन है, जिसे जितना भी खर्च करो वो उतना ही बढ़ता जाएगा। ज्योतिषविद् एवं वास्तु शास्त्री पंडित अरुण मिश्र अपने यहां आनेवालों को यही सलाह देते हैं कि अगर आपके पास कोई विद्या है तो उसे समाज में लोगों तक पहुंचाएं।
बिहार स्थित गया जिले के एक गांव में पैदा हुए पंडित अरुण मिश्र अपनी १२वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली और हरिद्वार गए। इसके बाद वहां से ज्योतिष और वास्तु शास्त्र का ज्ञान लेकर मुंबई आए। पंडित अरुण मिश्र के नाना भी ज्योतिषी थे। अत: पंडित अरुण मिश्र बचपन से ही अपने नाना से ज्योतिष क्या होता है इस विषय पर चर्चा कर उनसे अधिकाधिक ज्ञान अर्जित करते। रोजी-रोटी की तलाश में सन् ९० के दशक में मुंबई आनेवाले पंडित अरुण मिश्र गोराई में एक किराए का कमरा लेकर लोगों की समस्याओं का समाधान करने लगे। ज्योतिष विद्या, वास्तु शास्त्र तथा चेहरा देखकर भविष्य बताने के साथ ही बिना कुछ पूछे सामनेवाले व्यक्ति की परेशानी को बता देने आदि बातों से उनकी ख्याति देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी होने लगी। पंडित अरुण मिश्र की खासियत है कि वो किसी से कुछ भी मांगते नहीं। गीता का श्लोक सुनाते हुए वो कहते हैं कि ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेशु कदाचन।’ कर्म करना तुम्हारा कर्तव्य है और फल देना ईश्वर का काम। उनके इन्हीं गुणों के कारण हर जगह के लोग अपनी समस्या का निदान करने उनके पास आते हैं और उनसे समाधान पाते हैं। स्वेच्छा से दिए गए दान को पंडित अरुण मिश्र गरीब बच्चों की पढ़ाई तथा गरीब कन्याओं का विवाह करवाने में खर्च कर देते हैं। उनका बेटा अमेरिका की एक अच्छी कंपनी में कार्यरत है। वो भी अपने वेतन का १०वां हिस्सा वहां के संस्कृत पढ़नेवाले बच्चों की पढ़ाई पर खर्च करता है। पंडित अरुण मिश्र बताते हैं कि अमेरिका के फ्लोरिडा शहर में स्वामी नारायण संप्रदाय का एक सुंदर मंदिर है। वहां के एक कार्यक्रम में उन्हें हवन कराने के लिए आमंत्रित किया गया। विधि-विधान से हवन संपन्न होने के बाद वहां के भक्तों ने मुझे १४ लाख रुपए की दक्षिणा दी। मैंने उस रकम को वहां संस्कृत की पढ़ाई कर रहे बच्चों में बांट दी। अपने पास आनेवालों को पंडित अरुण मिश्र यही सलाह देते हैं कि अगर आपके पास ऐसी विद्या है, जिससे समाज के साथ-साथ देश का हित भी होता हो तो उसे बांट दीजिए। उसे गुप्त रखने से वह विद्या लोप हो जाएगी क्योंकि विद्या दान यह सबसे बड़ी समाज सेवा है।

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