– महिला जज ने की आत्महत्या… पहले भी इच्छामृत्यु की मांग कर चुके हैं जज
मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ
उत्तर प्रदेश में २०१७ में भाजपा की सरकार बनी। इस योगी राज में किसानों, बेरोजगारों की आत्महत्या की घटना तो आम है। यहां तक कि जज भी मौत को गले लगा रहे हैं। बदायूं में कल सुबह सिविल बार के नजदीक सरकारी आवास में सिविल जज जूनियर डिवीजन ज्योत्सना राय (२९) का शव फंदे से लटका मिला। कर्मचारी सुबह काम करने आवास पर पहुंचे। उन्होंने दरवाजा खटखटाया। उन्हें कई बार कॉल भी की, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। कर्मचारियों ने इसकी सूचना आस-पास रह रहे जज और कोतवाली पुलिस को दी। पुलिस ने उनके आवास का दरवाजा तोड़ा और उनके परिवार वालों को सूचना दी। शाम करीब साढ़े पांच बजे उनके माता-पिता मौके पर पहुंचे। पुलिस के अनुसार, उनके कमरे से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है।
बता दें कि सिविल जज, जूनियर डिवीजन ज्योत्सना राय २९ अप्रैल २०२३ को अयोध्या से ट्रांसफर होकर बदायूं आई थीं। वो महज २४ साल की उम्र में सिविल जज बनी थीं और उनकी पहली पोस्टिंग १५ नवंबर २०१९ को अयोध्या में हुई थी। ज्योत्सना राय मूलरूप से मऊ जिले की रहने वाली थीं। ज्योत्सना सिविल बार परिसर के नजदीक बने न्यायाधीश आवास नंबर चार में पहली मंजिल पर रह रही थीं। पुलिस का कहना है कि उनके आवास से एक सुसाइड नोट मिला है। इससे हालात आत्महत्या की ओर इशारा कर रहे हैं।
शाम करीब साढ़े पांच बजे ज्योत्सना के पिता अशोक उनके कुमार राय अपनी पत्नी के साथ आवास पहुंचे। देर शाम तक उनके भाई और परिवार के अन्य लोगों का इंतजार होता रहा, लेकिन तब तक महिला जज का शव पोस्टमार्टम के लिए नहीं भेजा। एसएसपी आलोक प्रियदर्शी ने बताया कि सूचना पर पहुंची पुलिस ने धक्का देकर दरवाजा खोला था। अंदर बेडरूम के बराबर वाले कमरे में उनका शव पंखे पर फंदे से लटका हुआ था। सभी तथ्यों पर जांच की जा रही है। इसमें जो सच्चाई होगी, उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
पहले भी जज लगा चुके हैं मौत को गले
जजों के सुसाइड करने या मौत को गले लगाने या प्रयास का यह कोई पहला मामला नहीं है। हाल ही में एक महिला जज ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांग की थी। बता दें कि डीआईजी सीडी प्रेमी, चुन्नी लाल वासन, और एटीएस अधिकारी राजेश सैनी ये कुछ ऐसे प्रमुख नाम हैं, जिन्होंने ड्यूटी के दौरान सुसाइड करने का प्रयास किया था, जिनकी मौके पर मौत हो गई थी। यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह के दावे को मानें तो प्रेशर और राजनीतिक दबाव के चलते अधिकारी एवं जज सुसाइड करने को मजबूर हो रहे हैं।