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कुपोषण रोकने में राज्य सरकार विफल … आदिवासी क्षेत्रों में केवल ०.२ फीसदी की आई कमी

 मुख्यमंत्री के समक्ष पेश हुई एक्शन टास्क कमेटी की रिपोर्ट
सामना संवाददाता / मुंबई
कल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को सौंपी गई एक्शन टास्क कमेटी की रिपोर्ट से पता चला है कि ‘घाती’ सरकार राज्य के आदिवासी इलाकों में बच्चों में कुपोषण रोकने में पूरी तरह विफल रही है। रिपोर्ट के आंकड़ों से पता चला है कि आदिवासी इलाकों में कुपोषण की दर में सिर्फ ०.२१ फीसदी की कमी आई है। जबकि आदिवासी संगठन से जुडे लोगों ने आंकडों को खोखला बताया।
आदिवासी क्षेत्रों में कुपोषण कम करने के लिए गठित एक्शन कमेटी की बैठक कल सह्याद्रि गेस्ट हाउस में हुई। इस बैठक में यह रिपोर्ट पेश की गई। पूर्व मंत्री डॉ. दीपक सावंत की अध्यक्षता वाली एक्शन कमेटी की रिपोर्ट से यह स्पष्ट हुआ है कि प्रदेश में आदिवासी क्षेत्रों में रहनेवाले बच्चों में कुपोषण को कम करने के लिए ‘घाती’ सरकार द्वारा किए जानेवाले उपाय प्रभावी साबित नहीं हो रहे हैं। पिछले तीन वर्षों में आदिवासी क्षेत्रों में कुपोषण की दर १.८२ प्रतिशत से घटकर १.६२ प्रतिशत हो गई है और राज्य के बाकी हिस्सों में कुपोषण की दर १.४३ प्रतिशत से घटकर १.२२ प्रतिशत हो गई है। इस मौके पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कुपोषण कम करने के लिए आदिवासी इलाकों में सरपंचों की भागीदारी बढ़ाने और बड़े पैमाने पर शिविर आयोजित करने का निर्देश दिया।
कैबिनेट के समक्ष प्रस्ताव
वर्तमान में आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराया जाता है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने इस योजना को ९वीं और १०वीं कक्षा के विद्यार्थियों को देने तथा अमृत आहार योजना को शहरी क्षेत्रों में भी देने के संबंध में वैâबिनेट के समक्ष प्रस्ताव रखने के निर्देश दिए।

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