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ईडी सरकार की जीरो प्रिस्क्रिप्शन पॉलिसी … मुंबईकरों के लिए सिरदर्द! योजना एक, सवाल अनेक  …बारह सौ करोड़ रुपए का बोझ पड़ने की आशंका

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई स्थित मनपा के अस्पतालों में अन्य प्रांतों से भी हजारों की संख्या में मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं। इससे अस्पतालों पर भारी बोझ पड़ता है। इसे देखते हुए इस बार के बजट में भी नि:शुल्क जीरो प्रिस्क्रिप्शन पॉलिसी की घोषणा कर दी गई। इस बीच मनपा आयुक्त ने कहा कि मुख्यमंत्री की संकल्पना के तहत योजना के लिए ५०० करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में किया गया है। लेकिन इस योजना को लेकर्र अभी से ही अनेकों सवाल उठने लगे हैं। इस नई नीति से बारह सौ करोड़ रुपए का बोझ पड़ने की आशंका है।
वर्तमान में सभी रोगियों को मनपा द्वारा रियायती दरों पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं। हालांकि, मरीजों को गैर-अनुसूचित, दवाएं व इंप्लांट सामग्रियां बाहर से खरीदनी पड़ती है। फिलहाल, मनपा की बजट में ‘जीरो प्रिस्क्रिप्शन’ नीति की घोषणा की गई है, जो एक अप्रैल से लागू होगा। मनपा की इस महत्वाकांक्षी नीति को लागू करते समय मुंबईकरों को मुफ्त में जबकि अन्य राज्यों से आनेवाले मरीजों के लिए शुल्क संरचना पर विचार किया जा रहा है। इसके माध्यम से जरूरी दवाओं को अस्पताल से ही उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई है।
कैसे लिया जाएगा फैसला?  
आज मनपा अस्पतालों में २० प्रतिशत से अधिक मरीज उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और प्रदेश के अन्य मनपा क्षेत्रों से आते हैं। इसका तनाव स्वास्थ्य विभाग पर पड़ता है। सवाल यह है कि आपातकालीन स्थिति में यह वैâसे तय किया जाए कि किसे योजना का लाभ दिया जाए और किसे नहीं? बताया गया है कि इसके लिए आधार कार्ड या अन्य दस्तावेजों की जांच की जाएगी।
इसलिए अस्पतालों में है दवाओं की कमी 
पिछले दो वर्षों से मनपा के केंद्रीय दवा खरीद विभाग में समन्वय और पारदर्शी प्रक्रिया की कमी के कारण अस्पतालों को दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता नहीं हो पाई है। अभी भी कई मनपा के अस्पतालों में दवाओं की कमी हैं। अब सवाल उठ रहा है कि क्या गैर-अनुसूचित दवाओं की उपलब्धता लागू करने के बाद प्राथमिक दवाओं की जरूरत पूरी हो सकेगी। बता दें कि मनपा अस्पताल में करीब ८०० दवाइयां मुफ्त दी जाती हैं। इसके बाद भी पुरानी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को जो दवाएं शेड्यूल में शामिल नहीं है, उन्हें खरीदनी पड़ती हैं।

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