मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : डरे हुए मोदी

झांकी : डरे हुए मोदी

अजय भट्टाचार्य

एक तरफ फिर से सत्ता में वापसी के प्रति आत्मविश्वास से भरे प्रधानसेवक तो दूसरी तरफ जीत के प्रति संदिग्ध नरेंद्र मोदी ने नेताओं और कार्यकर्ताओं से जनता के बीच पहुंचकर अपने काम और पार्टी का संदेश फैलाने को कहा है। साल २००४ में भाजपा बहुत कम सीटों से कांग्रेस से पीछे रह गई और केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार बनी। मोदी ने अपने कैबिनेट मंत्रियों से कहा है कि वे राजनीतिक विश्लेषकों की कुर्सी पर न बैठें आगामी २०२४ लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियां करें। जब तक चुनाव पूरा नहीं हो जाता, तब तक कुछ दूसरा भी नहीं किया जा सकता है, क्योंकि पार्टी को अभी भी २००४ के चुनावों का डर सता रहा है, जब भाजपा नेतृत्व लापरवाही बरत रहा था। २००४ में भाजपा बहुत कम सीटों से कांग्रेस से पीछे रह गई और केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार बनी। कांग्रेस को भाजपा से सिर्फ ७ सीटें ज्यादा मिली थीं। पार्टी के कार्यकर्ताओं को पूरा भरोसा है। इस बार ४०० से ज्यादा सीटें मिलेंगी, लेकिन शीर्ष नेतृत्व कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहता है। मोदी सरकार के काम के बावजूद समर्थकों को मतदान केंद्र तक पहुंचाना एक बड़ी चुनौती है। पर्याप्त एकता नहीं होने के बावजूद भी इंडिया गठबंधन सत्तारूढ़ गठबंधन को कड़ी टक्कर दे सकता है, क्योंकि उसके साथ अल्पसंख्यकों का एक बड़ा वोट बैंक है। वहीं दक्षिण भारत और पश्चिम बंगाल में भाजपा के लिए चुनौतियां कम नहीं हैं। हिंदी भाषी राज्यों में पार्टी की पकड़ मजबूत तो हुई है, लेकिन इस समर्थन को चुनाव तक बनाए रखना गंभीर चुनौती है।
सियासत में ‘गदर’
मुख्यमंत्री ए रेवंत के नेतृत्व वाली तेलंगाना सरकार ने हैदराबाद के बाहरी इलाके में ‘गदर’ के नाम से प्रसिद्ध गीतकार, लोक गायक और क्रांतिकारी कवि स्वर्गीय गुम्मदी विट्ठल राव की एक प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया है। गदर ने अपने लोक गीतों और जोशीले भाषणों के माध्यम से तेलंगाना राज्य आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ऐसा माना जाता था कि के चंद्रशेखर राव या केसीआर के नेतृत्व वाली पिछली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार ने उन्हें दरकिनार कर दिया था, जिनके साथ गदर के मतभेद थे। गदर को सम्मानित करने के कांग्रेस सरकार के कदम और २००९ से तेलंगाना राज्य आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिवारों तक उसकी पहुंच को रेवंत रेड्डी की बीआरएस से तेलंगाना भावना को जब्त करने की पहल के रूप में देखा जा रहा है, जिसने हमेशा केसीआर को तेलंगाना के प्रमुख वास्तुकार के रूप में पेश किया है। जून २०१४ में आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना राज्य का निर्माण हुआ। राज्य सरकार के फैसले के बाद हैदराबाद मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने गदर की मूर्ति स्थापित करने के तेलपुर नगरपालिका के प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए तेजी दिखाते हुए नगरपालिका प्रशासन और शहरी विकास विभाग ने एक छोटे से पार्क के साथ गदर की मूर्ति स्थापित करने के लिए हैदराबाद के पास सांगा रेड्डी जिले के रामचंद्रपुरम बेल्ट के तेलपुर में १,०७६ वर्ग गज भूमि आवंटित कर दी। अगर सब कुछ ठीक रहा तो आगामी अगस्त में उनकी पुण्यतिथि पर उनकी प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा, जो तेलंगाना में अन्य प्रतिमाओं को टक्कर देगी।
चंपई का एसिड टेस्ट आज
झारखंड में चंपई सोरेन ने भले ही मुख्यमंत्री बन गए हों, लेकिन अभी तक राजनीतिक संकट खत्म नहीं हुआ है। नए मुख्यमंत्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती फ्लोर टेस्ट है। हैदराबाद में झामुमो, कांग्रेस और राजद के विधायक भेजे गए हैं, लेकिन नंबर गेम पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। इसे लेकर चंपई सोरेन की चिंता बढ़ गई है। झारखंड में इंडिया गठबंधन को अपनी सरकार बनाने के लिए ४१ विधायकों का बहुमत चाहिए, लेकिन हैदराबाद सिर्फ ३६-३७ विधायक ही पहुंचे हैं। चंपई सरकार का फ्लोर टेस्ट आज यानी ५ फरवरी को है। इस्तीफा देने से पहले हेमंत सोरेन ने समर्थन पत्र में ४२-४३ विधायकों के हस्ताक्षर करवा लिए थे। इसके बाद चंपई सोरेन ने राज्यपाल को सरकार बनाने का दावा पेश करते हुए ४२-४३ विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा था। अब सवाल उठता है कि इंडिया गठबंधन के ५-६ विधायक कहां गए? सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की `भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में शामिल होने के लिए कुछ विधायक झारखंड में ही रुके हुए हैं। खुद को कानून के हवाले करने से पहले हेमंत सोरेन द्वारा मौजूदा मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को सत्ता की चाबी सौंपने पर महागठबंधन के विधायकों ने सहमति जताई थी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

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