मुख्यपृष्ठस्तंभपंचनामा : महाराष्ट्र में कब रुकेगा टोल का झोल?

पंचनामा : महाराष्ट्र में कब रुकेगा टोल का झोल?

-टोल के नाम पर हो रही है अवैध वसूली

-बढ़ते शुल्क से वाहन चालक हैं नाराज

नागमणि पांडेय

मुंबई और नई मुंबई को जोड़नेवाला नवनिर्मित शिवड़ी-न्हावा ब्रिज यानी ‘अटल सेतु’ जब से खुला है, तभी से ही इसके टोल को लेकर चर्चा हो रही है। सोशल मीडिया में अटल सेतु का टोल टैक्स बोर्ड भी वायरल हुआ है। इसके बाद से एक बार फिर से महाराष्ट्र में टोल का मुद्दा गरमा गया है। ‘अटल सेतु’ पर गाड़ी चलाने की एवज में आपको अपनी जेब कुछ अधिक ढीली करनी होगी। इसको लेकर इस सेतु से सफर करने वाले नाराजगी भी व्यक्त कर रहे हैं। इसके साथ ही यह देश का सबसे महंगा टोल बन गया है। यह कोई पहला मामला नहीं है, जब टोल को लेकर विरोध के स्वर उठ रहे हों। पहले भी कई बार लोग आवाज उठा चुके हैं। कई जगह तो टोल की मियाद समाप्त हो जाने के बाद भी अवैध रूप से टोल वसूली की जा रही है। परेशान हो चुके लोग एक ही सवाल कर रहे हैं कि महाराष्ट्र में कब समाप्त होगा टोल का झोल?
सरकार ने माना हो रही है अतिरिक्त टोल वसूली
सरकार ने विधान मंडल के शीतकालीन सत्र में माना था कि सड़कों की खराब हालत के बावजूद टोल वसूली जारी है। साथ ही सरकार ने ये भी माना था कि मुंबई में अतिरिक्त टोल वसूली हो रही है, जबकि सड़क निर्माण का खर्च वसूला जा चुका है। सड़क एवं पुल निर्माण के लगत से अधिक टोल वसूली हो रही है। सरकार की तरफ से इस बात की भी जानकारी दी गई थी कि मुंबई के एंट्री प्वाइंट पर सभी पांच टोल बूथ २०२७ तक जारी रहेंगे। महाराष्ट्र सड़क विकास निगम द्वारा बनाए गए ५५ पुलों की लागत वसूलने के लिए मुंबई के प्रवेश द्वार पर बनाए गए पांच टोल बूथों पर पुलों की लागत वसूलने के बावजूद क्या अभी भी टोल वसूली जारी है? विरोधियों के इस सवाल के जवाब में मंत्री दादा भूसे ने उत्तर दिया कि यह सत्य है। मुंबई में अतिरिक्त टोल वसूली जारी है। मुंबई में ५५ पुलों के लिए १ हजार २५९.३८ करोड़ रुपए खर्च किए गए। २०२६ तक ३ हजार २७२ करोड़ की वसूली की अपेक्षा है।
पिछले साल बढ़ाई गई थीं दरें
महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल (एमएसआरडीसी) ने पिछले साल एक अक्टूबर से टोल की नई दरें लागू की थीं। जिसके अनुसार, वाहन चालकों को मुंबई में प्रवेश के लिए ५ रुपए से लेकर ३० रुपए तक अधिक खर्च करने होंगे। टोल की नई दरें ३० सितंबर २०२६ तक लागू रहेगी। अब तक कार से मुंबई में प्रवेश करने पर वाहन चालकों को ४० रुपए टोल देना पड़ता था, लेकिन अब चालकों को ४५ रुपए का टोल अदा करना होगा।
साल २०२७ तक वसूला जाएगा टोल
सरकार २०२७ तक मुंबई में इंट्री करनेवालों से टोल वसूलते रहेगी। एमएसआरडीसी की अगुवाई में मुंबई में २००२ में बने ५५ पुलों के निर्माण खर्च की वसूली के लिए यह टोल वसूला जा रहा है। लेकिन उन ५५ पुलों के निर्माण में १,२५९ करोड़ रुपए खर्च हुए थे, लेकिन अब तक सरकार ने ढाई हजार करोड़ से अधिक की वसूली कर चुकी है और आगामी २०२६ तक लगभग ३.३ हजार करोड़ रुपए वसूल किए जाने का लक्ष्य है। यह जानकारी अभी हाल ही में विधान परिषद् में देते हुए सरकार की ओर से दी गई।
मुंबई में हैं कुल ५ टोल नाके
इसमें पहला टोल नाका दहिसर, दूसरा एलबीएस रोड-मुलुंड, तीसरा ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे-मुलुंड, चौथा ऐरोली क्रीक ब्रिज और पांचवां वाशी में है। इन टोल नाकों के माध्यम से रोजाना हजारों वाहनों की आवाजाही होती है। सरकार की ओर से मुंबई से सटे शहरों के लोगों को मुंबई में आवाजाही के लिए राहत देने के बजाय सरकार ने यहां ३० सितंबर २०२७ तक टोल वसूली जारी रखने का फैसला किया है।
आदित्य ठाकरे भी कर चुके हैं टोल बंद करने की मांग
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष के नेता व विधायक आदित्य ठाकरे भी टोल बंद करने की मांग कई बार कर चुके हैं। उनका कहना है कि मुंबई में मौजूद ५ में से २ बड़े टोल प्लाजा को बंद कर देना चाहिए, इनमें से एक मुंबई के ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे है तो दूसरा वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे। उनका कहना है कि अगर मनपा में उनकी सत्ता आती है तो वो इन दोनों टोल प्लाजा को बंद कर देंगे। आदित्य का कहना है कि उनकी पार्टी टोल नाकों को बंद करने के लिए सड़क पर उतरकर आंदोलन नहीं करेगी, क्योंकि ऐसा करने से टोलकर्मियों का नुकसान होगा और ट्रैफिक की वजह से आम लोगों को भी परेशानी उठानी पड़ेगी।
कहां जाता है टोल का पैसा?
१. इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार: टोल टैक्स का प्राथमिक उद्देश्य अच्छे गुणवत्ता वाले रोड्स और हाईवे का निर्माण और देखभाल के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना होता है।
२. सुरक्षित यातायात: टोल टैक्स के माध्यम से सड़कों पर वाहनों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता है, जिससे सड़कों पर हादसों की संख्या में कमी आती है और यातायात सुरक्षित होता है।
३. सड़क सेवाओं की देखभाल: टोल टैक्स के पैसे सड़कों की देखभाल और अन्य सड़क सेवाओं के लिए उपयोग होते हैं, जैसे कि ड्रेनेज, सड़क संरक्षण और टोल बूथ के कर्मचारियों के वेतन।
अटल सेतु का टोल कई गुना महंगा
सायन-पनवेल महामार्ग पर वाशी टोल पर टोल कम है। इसकी तुलना में अटल सेतु का टोल कई गुना महंगा है। ऐसे में अटल सेतु से जाने के बजाय वाशी टोल से जाना ही सस्ता साबित होगा। अटल सेतु पर जितना टोल देंगे, उतने पैसे में डीजल या सीएनजी गाड़ी में भराकर वापस आ जाएंगे।
-राजेश शुक्ला, वाशी
ट्रैफिक चलेगा, महंगा टोल नहीं
कई बार मुंबई ऑफिस के काम से जाना होता है, इसके लिए वाशी टोल से होकर फ्री वे से जाते हैं। इस दौरान कई बार वाशी के बाद ट्रैफिक का सामना करना पड़ता है। इसके लिए अटल सेतु शुरू होने पर एक बार गए, लेकिन टोल महंगा होने के कारण अब जाने की इच्छा नहीं होता है। इससे अच्छा है कि ट्रैफिक का सामना कर लेंगे, लेकिन इतने महंगे ब्रिज से जाना महंगा साबित होगा।
सचिन पाल, नई मुंबई
घाटे का सौदा है अटल सेतु
अटल सेतु से जेएनपीटी, पनवेल या पुणे जाने के लिए फायदेमंद है, लेकिन वाशी, नेरुल, घणसोली की तरफ जाने के लिए महंगा है, क्योंकि अटल सेतु से उतरने के बाद लगभग आधे से एक घंटे का सफर कर नेरूल, वाशी के तरफ पहुंचा जा सकेगा। इसके साथ ही अटल सेतु पर टोल २७० रुपए है, जबकी वाशी टोल पर यह महज ३० से ५० रुपए है तो ऐसे में यह अटल सेतु सभी के लिए फायदेमंद नहीं है।

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