मुख्यपृष्ठराजनीतिउत्तर की बात : यूपी में तेजी से बदल रहा राजनीतिक घटनाक्रम

उत्तर की बात : यूपी में तेजी से बदल रहा राजनीतिक घटनाक्रम

रोहित माहेश्वरी लखनऊ
लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे समीप आ रहा है, वैसे-वैसे यूपी में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। प्रदेश के राजनीतिक दल पूरी तरह चुनावी मोड में आ गए हैं। भाजपा में जहां सीटिंग सांसदों की टिकट कटने की चर्चाएं गरम हैं, वहीं विपक्षी गठबंधन इंडिया में सीटों के बंटवारे को लेकर कयासों का दौर जारी है। इस बीच खबर यह आ रही है कि जयंत चौधरी राष्ट्रीय लोकदल इंडिया गठबंधन का साथ छोड़कर भाजपा के साथ जा सकते हैं। अभी आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है। चूंकि चुनाव का समय निकट है, ऐसे में राजनीति के गलियारों में खबरें और अफवाहों की भरमार है।
विपक्षी गठबंधन इंडिया को कई प्रदेशों में झटका लगने के बाद उत्तर प्रदेश से राहत देनेवाली खबर है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव शामिल होंगे। सपा अध्यक्ष ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है। अखिलेश अमेठी या रायबरेली में शामिल होंगे।
राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ १६ फरवरी को चंदौली के सैयदराजा से यूपी में प्रवेश करेगी। इस यात्रा के तहत जनसभा का आयोजन होगा। इसमें शामिल होने के लिए अखिलेश यादव को आमंत्रित किया गया है। दरअसल, सपा अध्यक्ष ने दो दिन पहले ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में शामिल होने के प्रश्न पर कहा था कि कई बड़े कार्यक्रम होते हैं लेकिन उन्हें निमंत्रण नहीं मिलता है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार व बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से झटका खाने के बाद कांग्रेस अब विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए से सपा को खोना नहीं चाहती है। राहुल की यात्रा अभी झारखंड में है।
बीते दिनों ही सपा ने अपनी ओर से कांग्रेस के लिए ११ सीटें छोड़ने का एलान किया था, वो अलग बात है कि कांग्रेस ने इस पर अपनी सहमति नहीं जताई थी। कांग्रेस कुछ और सीटें चाह रही है। अगर अगले दो-तीन दिन में सीट का मामला तय हो जाता है तो उसकी साझा घोषणा हो सकती है।
इधर खबर यह भी आ रही है कि जयंत चौधरी भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। रालोद के एनडीए के साथ जाने की नई चर्चा उस समय तेज हुई जब १२ फरवरी को चौधरी अजीत सिंह की जन्मतिथि पर छपरौली में उनकी प्रतिमा के अनावरण का होनेवाला कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया। इस कार्यक्रम में जयंत चौधरी को आना था। हर जिले से कार्यकर्ता बुलाए गए थे। इस कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार जोर-शोर से कार्यकर्ता कर रहे थे। हालांकि, पार्टी की ओर से खराब मौसम को कारण बताया गया था।
बता दें कि रालोद का सपा से गठबंधन हो चुका है, लेकिन सपा की कुछ शर्तों के कारण गठबंधन में दरार नजर आने लगी है। सपा ने रालोद को सात सीटें देने का भरोसा दिया है। इनमें बागपत, वैâराना, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मेरठ या अमरोहा, हाथरस और मथुरा हैं। सूत्रों के अनुसार सपा ने वैâराना, बिजनौर और मुजफ्फरनगर में प्रत्याशी अपना और निशान रालोद का रहने की शर्त रख दी। रालोद वैâराना और बिजनौर पर तो राजी है, लेकिन मुजफ्फरनगर पर पेच फंस गया है। रालोद ने ऐसी स्थिति में अपनी सीटें बढ़ाने की बात रखी।
वहीं अब भाजपा ने रालोद को पांच सीटें बिना शर्त देने की पेशकश की है। ये सीटें वैâराना, बागपत, अमरोहा, मथुरा और मुजफ्फरनगर हैं। सूत्रों के अनुसार भाजपा का एक धड़ा रालोद को अपने खेमे में लाना चाहता है। इससे प्रधानमंत्री मोदी के अब की बार ४०० पार का लक्ष्य भेदने में आसानी होगी। बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की १२ सीटों पर रालोद का खासा प्रभाव है। इसी कारण आईएनडीआईए और एनडीए दोनों को रालोद का साथ चाहिए। जिस गठबंधन में रालोद रहेगा उसका पलड़ा यहां भारी हो जाएगा। सपा परिवार की फिरोजाबाद और बदायूं जैसी सीटों पर रालोद का अच्छा-खासा वोट बैंक है। इन सीटों पर भाजपा की नजर है, वहीं मुरादाबाद मंडल की हारी हुई सीटों पर भी रालोद की अच्छी पैठ है।
फिलहाल, इंडिया गठबंधन में सीटों का बंटवारा आधिकारिक तौर पर फाइनल नहीं हुआ है। वहीं रालोद भाजपा के साथ जाएगा इसकी खबर भी सूत्रों के हवाले से ही आ रही है। भाजपा और बसपा में भी चुनाव को लेकर रणनीतियां बनाई जा रही हैं, पर एक बात पूरी तरह साफ है कि भाजपा इंडिया गठबंधन का मुकाबला करने की बजाय गठबंधन को तोड़ने की नीति पर काम करती दिखाई दे रही है। संभावना इस बात की है कि फरवरी में ही यूपी की राजनीतिक तस्वीर पूरी तरह साफ हो जाएगी।
(लेखक स्तंभकार, सामाजिक, राजनीतिक मामलों के जानकार एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं)

 

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