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ब्रजभाषा व्यंग्य: नेकूं लाज सरम नाँय आबै, बजमारौ वैलंटाइन मनाबै!

संतोष मधुसूदन चतुर्वेदी

हमारे देश भारत में १४ तारीक कूं वैलेंटाइन डे मनायो जाबै। जामें एक सप्ताह पच्छिमी सभ्यता में रंगे भये छोरा छोरी मजा-मस्ती करें। बिनकूं देखके हमारे हू मन में जाकूं मनायबे की लालसा जागी। बिहार में नीतीश बाबू और भाजपा में हू ईलू ईलू है गयी। अब हमारौ मन हू मचल गयौ। हमनें हू एक परोसन के संग इलू-विलु करबे की ठानी। पहलें तौ बाकूं रोज यानी गुलाब कौ फूल दीयौ, फिर परपोज कियौ, चॉकलेट दैकें टेडी दीनों बाद में बासौं परोमिस कियौ और बाकूं हाथरस लैकें होटल में गये तब तलक सही हतो, जब चिपक कें किस करबे की कोसिस करी तौ बौ मछरी की तरियां सौं हमारे करेजे के पास आइबे सौं पैलें ही फिसल गई। अब होटल मै छापौ परि गयौ और बलन्टिन सूं पैलें ही पुलिस ने बाकूं धर लियो और पचास हजार रुपया को जुर्मानों करि दियौ। और बौ सीधे हमारी घरबारी के पास जाय पहुंची। बौ हमारी घरबारी सौं बोली सखी सुन अपने खसम कौं काबू में रख ये मनमानी कर रह्यो है और मोपै डोरा डारत भये होटल मै लै गयौ। या उमर मै याकों लिहाज नाँय आई। चार चार बच्चान कौ बाप है गयौ और होटल नाप रह्यो हतै। घरबारी बाकी बातें सुनकें पूरी तरियां सूं भरी बैठी। बौ सोचन लगी की आज या बजमारे की जमकें खबर लेनी है।
बौ बोली- तोय घुटमन पानी पिया दूँगी ढोला बजमारे।

हमारी घरबारी आरती कौ थार सजायें हमारौ घर के दरवज्जे पै खड़ी रह कें बेसबरी सौं इंतजार कर रई। रसोई में सौं बेलन संग रख लियौ। जब हम पुलिस बारेन के संग घर आये तौ बा नें पैलें तौ हमारी बड्डे प्रेम सूं आरती उतारी फिर बेलन लैकें हम पै पिल परी और फुफकारते भये बोली- बजमारे तू या उमर में चार बच्चन के होते भये परोसन सौं ईलू ईलू कर रह्योएँ। यै नाँय की खेतन मै सूं सरसों के फूल लैकें सरसुती मईया की पूजा कर सकै। नये जमाने को छोरा बनकें लुगाइन के पीछे भाज रह्यो है अपनी इज्जत कौ खियाल नाँय तो मेरी तौ इज्जत रख लेतौ।

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