मुख्यपृष्ठनए समाचारजम्मू-कश्मीर में आतंकियों को कौन दे रहा है ऑक्सीजन?

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों को कौन दे रहा है ऑक्सीजन?

रामदिनेश यादव

जम्मू-कश्मीर में ऐसे तत्व भी हैं, जो युवाओं को आतंक के रास्ते पर चलने के लिए उकसाते हैं। एक ओर जहां ऐसे तत्वों पर नियंत्रण पाना होगा, वहीं दूसरी ओर इसके भी जतन करने होंगे कि सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ बंद हो। यह शुभ संकेत नहीं है कि पाकिस्तान में प्रशिक्षित हो रहे आतंकी अभी भी घुसपैठ करने में समर्थ हैं।

पुंछ में आतंकी हमले में सेना के चार जवानों के बलिदान के बाद आतंकियों से मिलीभगत के संदेह में पकड़े गए तीन स्थानीय नागरिकों की मौत के कारणों का पता लगाने को लेकर जो कदम उठाए गए, वे आवश्यक थे। इस तरह के मामले भारत विरोधी तत्वों को दुष्प्रचार करने का अवसर प्रदान करने के साथ ही स्थानीय आबादी और सुरक्षा बलों के बीच अविश्वास भी पैदा करते हैं। आतंकवाद से लड़ाई में स्थानीय लोगों का सहयोग प्राप्त करने के लिए इस तरह की घटनाओं की रोकथाम सुनिश्चित करना आवश्यक है।  कार्रवाई के रूप में आतंकवादियों के समर्थक अलगाववादियों की सैकड़ों संपत्तियां जब्त की गई हैं, लेकिन अब भी ऐसे कई तत्व केंद्र शासित प्रदेश में आतंकी संगठनों को ‘ऑक्सीजन दे रहे हैं। वहां सेना और पुलिस आतंकियों के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई में जुटी है, उनका कहना है कि आतंकवादियों के समर्थकों को छोड़ा नहीं जाएगा। जम्मू-कश्मीर के १४ जिलों में जमात ए इस्लामी के सदस्यों पर हाल में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की छापेमारी सफल हुई थी। जमात, हुर्रियत और अन्य अलगाववादी तत्व जम्मू कश्मीर में बेहद सक्रिय रहे हैं। वास्तव में वह लंबे समय तक आतंक की मशीनरी को चलाने के लिए जिम्मेदार हैं। वह अब भी कुछ गतिविधियों में शामिल हैं, जिससे आतंकी संगठनों को ऑक्सीजन मिल सके और जम्मू-कश्मीर में आतंक के ढांचे को सहारा दिया जा सके। एजेंसियों की मानें तो पकड़े गए आतंकियों से पूछताछ में मिलीजुली तस्वीर सामने आई है। ऐसे कई युवा हैं, जो जिहाद छेड़ने के लिए आतंकवाद में शामिल हो गए हैं। उनसे जिहाद का मतलब पूछो तो वे जवाब देते हैं कि जितना संभव हो सके, उतने अधिक हिंदुओं और सुरक्षाकर्मियों को मार डालो। कुछ अन्य लोग साहसिक कार्य को प्रेरक शक्ति बताते हैं। इसकी पुष्टि तब होती है जब हाथ में कलाश्निकोव और वायरलेस सेट और बढ़ी हुई दाढ़ी वाले आतंकवादियों की तस्वीरें मिलती हैं। यह उन्हें जनता के बीच शक्तिशाली और सम्मानित महसूस कराता है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर नियंत्रण के लिए पुलिस और अन्य सुरक्षा बल ऐसे सभी तत्वों पर नजर रखे हुए हैं और एनआईए ने पुलिस के साथ समन्वय कर इस संबंध में कई स्थानों पर बड़ी संख्या में छापेमारी की। इस पर राजनीती भी शुरू है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती एनआईए की छापेमारी को केंद्र द्वारा ‘अपने ही पाले में किया गया गोल’ मान रही हैं तो नेशनल कॉन्प्रâेंस नेता आतंकवाद खत्म करने की वकालत तो कर रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनका कोई ठोस योगदान नजर नहीं आ रहा है।

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