मुख्यपृष्ठसमाचारबढ़ रहा था ट्यूमर का टेंशन!

बढ़ रहा था ट्यूमर का टेंशन!

-छह घंटे तक चला ऑपरेशन…९ साल के बच्चे की बची जान

सामना संवाददाता / मुंबई

सिरदर्द की बार-बार हो रही शिकायत और अचानक धुंधली दृष्टि ने नौ वर्षीय रियांश यादव के माता-पिता को झकझोर कर रख दिया था। हालांकि, इससे हार मानने की बजाय सूरत में रहनेवाले बच्चे के माता-पिता उसे लेकर मुंबई पहुंचे और तुरंत नायर अस्पताल में भर्ती करा दिया। नायर अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने जब जांच की तो पता चला कि उसके ब्रेन में ट्यूमर है, जो बढ़ा हुआ था। इसके बाद इसे हटाने के लिए छह घंटे तक चले सफल ऑपरेशन के बाद उसकी जान बच सकी।
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के नोनीपुर गांव के रहनेवाले विक्रम यादव पिछले कुछ सालों से काम के सिलसिले में सूरत में रह रहे हैं, लेकिन पिछले छह महीने से उनके नौ वर्षीय बड़े बेटे रियांश यादव को लगातार सिरदर्द और चक्कर आ रहे थे। पढ़ाई के लिए बैठने के बाद रियांश को अधिक परेशानी हो रही थी। इसलिए शुरू में उसके माता-पिता को लगा कि रियांश पढ़ाई में आनाकानी कर रहा है, लेकिन जब वह लगातार सिरदर्द की शिकायत करने लगा तो उसे सूरत में एक डॉक्टर के पास ले जाया गया। चिकित्सक ने इलाज शुरू कर दिया और इससे कुछ हद तक राहत भी मिल गई। कुछ दिन बाद फिर से सिरदर्द शुरू हो गया। इस बीच रियांश और उसकी मां मीरा रोड में अपने चाचा के यहां आए थे। उस समय उसके चाचा उसे एक निजी डॉक्टर के पास ले गए। उस डॉक्टर ने रियांश को एक नेत्र चिकित्सक के पास भेजा। इस बीच रियांश की आंखों की रोशनी अचानक कम हो गई और उसे एक वस्तु दो दिखाई देने लगीं। साथ ही उसकी आंखें लाल हो गईं और पुतलियां एक तरफ हो गईं। इसलिए डॉक्टर ने रियांश को एमआरआई कराने के लिए कहा। एमआरआई रिपोर्ट आने के बाद बताया गया कि उनके सिर में ट्यूमर है और सर्जरी में सात से आठ लाख रुपए का खर्च आएगा। चूंकि ये खर्च रियांश के पिता विक्रम की पहुंच से बाहर था, इसलिए उन्हें मुंबई मनपा के नायर अस्पताल में लाया गया।
मौत होने की थी संभावना
नायर अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग ने जब बच्चे की जांच की तो पता चला कि उसके मस्तिष्क के पीछे पिट्यूटरी ग्रंथि और ऑप्टिक तंत्रिका के पास पांच सेमी का ट्यूमर है। साथ ही ट्यूमर के किनारे मस्तिष्क में कई महत्वपूर्ण रक्त वाहिकाएं होती हैं, इसलिए इस ट्यूमर को शल्य चिकित्सा द्वारा हटाने के दौरान रोगी की मृत्यु की संभावना अधिक थी। इसलिए विकिरण चिकित्सा का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन वह अन्य कोशिकाओं को नष्ट कर रहा था।
सर्जरी का लिया गया फैसला
नायर अस्पताल में न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. आदिल छागला और उनकी टीम ने रियांश के मस्तिष्क के निचले हिस्से में पांच सेंटीमीटर के ट्यूमर को हटाने और उसकी जान बचाने के लिए छह घंटे की सर्जरी की। नायर अस्पताल में यह सर्जरी नि:शुल्क की गई।

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