मुख्यपृष्ठनए समाचारतड़का: किसानों पर एयर स्ट्राइक!

तड़का: किसानों पर एयर स्ट्राइक!

कविता श्रीवास्तव

हाल ही में प्रधानमंत्री ने युवा, किसान, महिला और गरीब इन चारों को सबसे बड़ी जाति बताया था। उन्होंने कहा था कि इन चारों का उत्थान करना ही उनकी प्राथमिकता है। इन चारों का उत्थान हुआ तो सबका हो जाएगा। लेकिन कहते हैं न ‘कसमें, वादे, प्यार, वफा सब बातें हैं, बातों का क्या…।’ क्योंकि किसानों के उत्थान की बात तो हुई, पर किसान संतुष्ट नहीं हुए। मोदीजी की बात पर अभी चर्चाएं हो ही रही थीं कि किसान फिर से अपनी नाराजगी लेकर सड़कों पर उमड़ पड़े हैं। उनकी प्रमुख मांग है कि फसलों की एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी मिले और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू हो। अपनी मांगें लेकर आवाज उठाने और आंदोलन, प्रदर्शन करने का हर किसी को लोकतांत्रिक अधिकार है। लेकिन किसानों के आंदोलन को रोकने के लिए अन्य राज्यों से दिल्ली आने के सभी बॉर्डर ही सील कर दिए गए हैं। सड़कों पर स्पाइक स्ट्रैप्स (कील की चादरें) बिछवा दी हैं। लोहे और पक्की दीवारों के बैरिकेड्स लगवा दिए हैं। किसानों पर ड्रोन के माध्यम से आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं। रबर की गोलियां चलाई जा रही हैं। भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। ऐसा दिखाया जा रहा है मानो किसी विदेशी सेना का हमला रोकने की तैयारी की जा रही है, जबकि ये वही किसान हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री अन्नदाता कह कर हमदर्दी जताते हैं। किसान फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ हरितक्रांति के जनक एम.एस. स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट लागू करवाना चाहते हैं। जी हां, वही एम. एस. स्वामीनाथन जिनके नाम हाल ही में मोदी सरकार ने ‘भारतरत्न’ सम्मान घोषित किया है। सवाल यह है कि कृषि क्षेत्र और किसानों के लिए एम. एस. स्वामीनाथन के कार्यों का सम्मान किया जा रहा है। इसके बाद भी किसानों के पक्ष में उनकी ही सिफारिशें मंजूर क्यों नहीं की जा रही हैं। किसानों ने पहले भी आंदोलन किया था। उनका आरोप है कि सरकार ने झूठे वादे करके आंदोलन खत्म करवाया। वादे पूरे नहीं किए। अब केंद्र का संकट यह है कि यदि किसानों का आंदोलन जारी रहा और पिछली बार की तरह लंबा चला तो आने वाले आम चुनाव परिणामों पर प्रतिकूल असर डाल सकता है। ‘अबकी बार, चार सौ पार’ के जुमले को झटका दे सकता है। क्योंकि इस आंदोलन में पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश से भारी संख्या में किसानों का समावेश है। उनका आंदोलन रोकने के जो तरीके अपनाए जा रहे हैं, उन पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने भी तल्ख टिप्पणी की है। अपने हितों के लिए एकजुट होने और आगे बढ़ने का किसानों को संवैधानिक अधिकार है। इसे रोकना लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन है। कानून व्यवस्था संभालना प्रशासन का दायित्व है। लेकिन इसके लिए आंदोलन रोकने से टकराव की स्थिति पैदा होना स्वाभाविक ही है? इसके लिए एयर स्ट्राइक नहीं चर्चा और समाधान जरूरी है।

अन्य समाचार