-महिला कोच में पुरुष घुसकर बेचते हैं सामान
-प्रशासन के नियम को दिखाते हैं ठेंगा
ट्विंकल मिश्रा / मुंबई
मुंबई की लोकल ट्रेन महिलाओं के लिए दिन पर दिन सुविधा के बदले मुसीबत बनती जा रही है। एक तरफ भीड़ से जूझ रही महिलाएं खुद को संभाल नहीं पाती हैं तो दूसरी तरफ ट्रेन में समान बेचने वाले हॉकर्स चढ़कर समस्या और बढ़ा देते हैं। इन्हें ट्रेन में समान बेचने का कोई अधिकार नहीं है। इसके बावजूद पुरुष हॉकर्स बड़ी-बड़ी पोटली लेकर समान बेचने महिला कोच में घुस जाते हैं और भीड़ को अनियंत्रित कर देते हैं। ये प्रशासन को भी ठेंगा दिखाते हैं। इनकी वजह से लोकल में अक्सर लफड़े होते हैं।
हॉकर्स के इस तरह घुसने से महिलाएं आपस में झगड़ने लगती हैं, जिससे कोच का माहौल खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में स्थिति बिगड़ जाती है, कभी-कभी तो मामला मारपीट तक पहुंच जाता है। रेलवे प्रशासन की ओर से इतनी समस्याएं पैदा कराने वाले हॉकर्स पर कोई कार्रवाई नहीं किया जाता है। ये हॉकर्स बिना रोक-टोक धड़ल्ले से ट्रेन में सामान बेचते हैं।
५००-१,००० रुपए जुर्माने का है प्रावधान
इस संदर्भ में पश्चिम रेलवे के अधिकारी ने बताया कि जब शिकायत आती है तो वे एक्शन लेते हैं, लेकिन हॉकर्स फिर से अपने काम में लग जाते हैं। वे फाइन भरते हैं और फिर से बेचना शुरू कर देते हैं। फाइन के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि पकड़े जाने पर ५०० से १,००० रुपए तक का फाइन वसूला जाता है।
इस परेशानी पर महिलाओं का कहना है की उनके समान को जब्त कर लेना चहिए या फाइन को और बढ़ा देना चहिए। जितना वह फाइन भरते हैं उसका वह ट्रिपल कमा लेते हैं। उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता १००० रुपए भी फाइन देने से। वह ढीट हो गए हैं। भरी ट्रेन में लेडीज कोच में चढ़ कर समान बेचते हैं। इतना ही नहीं कुछ आदमी जगह न मिलने पर झगड़ा भी कर लेते हैं।
-अस्मिता यादव (दैनिक यात्री)
नियम और सख्त होना चहिए
इनके खिलाफ नियम और सख्त होने चहिए ट्रेन कोई शॉपिंग सेंटर नहीं है जो ये लोग समान बेचने आ जाते हैं। सफर कर रहे लोगों को तकलीफ होती है। रेलवे को इसपर कड़ी करवाई करनी चाहिए।
-उपहार चौहान (दैनिक यात्री)