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क्लस्टर विकास के नाम पर ईडी सरकार कर रही है १,९०० स्कूलों को बंद!

सामना संवाददाता मुंबई

राज्य की शिंदे सरकार ने पिछले साल से स्कूली शिक्षा में भी क्लस्टर योजना को अमल में लाया है। इसके तहत शुन्य से २० छात्र संख्या वाले स्कूलों को समायोजित करके उसे क्लस्टर में परिवर्तित करने की तैयारी चल रही है। इस योजना को लेकर सरकार का दावा है कि इससे शिक्षा में सुधार होगा। दूसरी तरफ आज जनता में यह कहा जा रहा है कि राज्य की ईडी सरकार क्लस्टर के नाम पर तकरीबन १९०० स्कूलों को बंद करने की तैयारी में है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों के शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इससे आदिवासी और दुगर्म क्षेत्रों में रहनेवाले छात्रों को दूर-दराज जाकर शिक्षा लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इसके बाद भी कम छात्र संख्या वाले करीब १९०० स्कूलों को क्लस्टर में समायोजित करने के लिए राज्य से करीब ७०० प्रस्ताव भी आए हैं, जिसे देखते हुए यह स्पष्ट हो रहा है कि शिंदे सरकार अपने इस मंसूबे में सफल होती दिखाई दे रही है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में कुल १,०८,७८७ स्कूल हैं। इनमें शुन्य से २० छात्र संख्या वाले कुल ७,४८१ स्कूल हैं। इनमें से २९३ स्कूलों में छात्र संख्या शून्य है। बता दें कि पुणे के वेल्हे तहसील स्थित पानशेत में तैयार किए गए क्लस्टर स्कूल में कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को पिछले साल ही समाहित किया गया जा चुका है। ऐसे में प्रदेश के कम छात्र संख्या वाले स्कूलों के लिए क्लस्टर योजना शुरू करने का प्रस्ताव पिछले साल शिंदे सरकार ने तैयार किया था। २० से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को बंद करने के बजाय उनका एकत्रीकरण किया गया है। दूसरी तरफ आरोप लग रहे हैं।
मौत की घंटी है पानशेत पैटर्न
पानशेत पैटर्न छोटे स्कूलों के लिए मौत की घंटी है। एक से तीन किलोमीटर के दायरे में कई स्कूलों को बंद करते हुए १०-१५ किलोमीटर की दूरी पर एक स्कूल बनाना शिक्षा के अधिकार अधिनियम और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों के साथ असंगत है। यह स्कूल संकुल योजना यानी कोठारी आयोग द्वारा सुझाई गई स्कूल क्लस्टर योजना ही है।
३१ अक्टूबर तक थी डेडलाइन
शिंदे सरकार के मंसूबों को पूरा करने के लिए शिक्षा विभाग ने पानशेत पैटर्न की तर्ज पर राज्य में शून्य से २० छात्रों संख्या वाले सरकारी स्कूलों को समायोजित करने जा रही है। इसके तहत क्लस्टर स्कूल बनाने के लिए शिक्षा उपनिदेशक कार्यालय के माध्यम से प्रस्ताव मंगाया था, जिसके लिए ३१ अक्टूबर तक की डेडलाइन दी थी।
शिक्षा विभाग के मुताबिक प्रदेश के १९०० स्कूलों का समायोजन किया जाएगा। फिलहाल शिक्षा विभाग का कहना है कि प्रस्ताव प्राप्त होना मतलब समायोजन नहीं है। उनकी गहन जांच के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
सुदूर और आदिवासी इलाके
स्कूलों का नहीं होगा समायोजन
प्राथमिक शिक्षा निदेशक शरद गोसावी ने बताया कि सुदूर और आदिवासी इलाकों में मौजूद स्कूलों का समायोजन नहीं होगा। उन्होंने कहा है कि कम छात्र संख्या वाले स्कूलों में शिक्षा ले रहे छात्रों का सही तरीके से विकास नहीं हो पाता हैं। हालांकि, क्लस्टर स्कूलों से छात्रों को समग्र शैक्षणिक और सामाजिक विकास में लाभ होगा।
गोसावी ने कहा कि क्लस्टर स्कूलों में पढ़नेवाले छात्रों को शैक्षिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इन छात्रों के लिए बुद्धिमान और तकनीक-प्रेमी शिक्षक लाने की कोशिश की जा रही है।

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