अजय भट्टाचार्य
प्रधानसेवक के प्रधान सचिव रहे नृपेंद्र मिश्रा पर कृपा बरसी है। उनके बेटे साकेत मिश्रा को श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है। साकेत फिलहाल उप्र विधान परिषद के सदस्य हैं। राजनीति में आने से पहले साकेत कई चीजों में अपना हाथ आजमा चुके हैं। आईआईएम कोलकाता से स्नातक, वह एक बैंक में काम कर रहे थे, जब उन्होंने सिविल सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए `एक महीने के भीतर’ इसे छोड़ दिया। उन्होंने आईपीएस के लिए अर्हता प्राप्त की, लेकिन इसमें शामिल नहीं हुए। १८ वर्षों तक कुछ प्रतिष्ठित बैंकों सहित विदेश में काम किया और फिर `सामाजिक कार्य’ करने की इच्छा के साथ घर लौटने का पैâसला किया। साकेत को पिछले साल अप्रैल में उत्तर प्रदेश विधान परिषद में जगह मिली थी. उनके पिता नृपेंद्र मिश्रा को एक समय प्रधानमंत्री कार्यालय में सबसे शक्तिशाली नौकरशाहों में से एक माना जाता था। वर्तमान में, मिश्रा सीनियर अयोध्या मंदिर के निर्माण के लिए सरकार द्वारा गठित श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की निर्माण समिति के अध्यक्ष हैं।
मप्र में ६ के टिकट कटे
मध्य प्रदेश में भाजपा छह सांसदों का टिकट काट दिया है, जबकि पांच नए चेहरों पर दांव लगाया गया है। दिल से माफी नहीं मिलने के कारण भोपाल से वर्तमान सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर का टिकट काट कर उनकी जगह पर पूर्व महापूर आलोक शर्मा को मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को गुना में हरानेवाले केपी यादव का टिकट काटकर गुना से सिंधिया को उम्मीदवार बना दिया। पार्टी ने सागर से सांसद राजबहादुर सिंह को दरकिनार कर महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लता वानखेड़े को मौका दिया है। रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद जीएस डामोर का टिकट काटकर मध्य प्रदेश सरकार में वन मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता नागर सिंह चौहान को उम्मीदवार बनाया है, क्योंकि दूसरा कोई परिवार उस सीट पर लड़ने को नहीं मिला। विदिशा से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उम्मीदवारी पर सांसद रमाकांत भार्गव की बलि चढ़ गई। ग्वालियर से वर्तमान सांसद विवेक शेजवलकर की जगह पूर्व मंत्री भारत सिंह कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया गया है। नरेंद्र सिंह तोमर वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष हैं, इसलिए उनकी लोकसभा सीट मुरैना से शिवमंगल सिंह तोमर को उम्मीदवार बनाया गया है। प्रीति पाठक विधायक हो गई हैं, इसलिए खाली सीधी लोकसभा सीट से राजेश मिश्रा को टिकट मिला। होशंगाबाद से सांसद रहे राव उदय प्रताप सिंह विधानसभा चुनाव जीतकर इस वक्त राज्य सरकार में मंत्री हैं। इसके चलते दर्शन सिंह चौधरी को होशंगाबाद से उतारा गया है। राकेश सिंह और प्रह्लाद सिंह पटेल वर्तमान में मोहन सरकार में मंत्री हैं, इसलिए उनकी सीट क्रमश: जबलपुर से आशीष दुबे और दमोह से राहुल लोधी को चुनावी मैदान में उतारा गया है।
खेला से पहले खेला
लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी। इसमें भोजपुरी अभिनेता जिसमें एक्टर पवन सिंह का नाम भी शामिल था। पार्टी ने पवन को पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट पर उतार तो दिया मगर खेला हो गया। उम्मीदवारी घोषित होने के एक दिन बाद पवन सिंह ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। आसनसोल से इस समय तृणमूल कांग्रेस की टिकट पर शत्रुघ्न सिन्हा सांसद हैं। उनसे पहले यह सीट बाबुल सुप्रियो ने भाजपा की टिकट पर जीती थी। सुप्रियो इस समय तृणमूल कांग्रेस के विधायक हैं। पवन सिंह ने रविवार को बड़ी इज्जत के साथ मैदान से हटने का एलान करते हुए सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट लिखा कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को तहे दिल से आभार व्यक्त करता हूं। पार्टी ने मुझ पर भरोसा करके आसनसोल का प्रत्याशी घोषित किया, लेकिन किसी कारण वश मैं आसनसोल से चुनाव नहीं लड़ पाऊंगा। पवन के संदेश को लपकते हुए तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भोजपुरी अभिनेता के इस पोस्ट को रिपोस्ट किया है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल की जनता की अदम्य भावना और ताकत। तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन ने अभिषेक बनर्जी के पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए लिखा कि खेला शुरू होने से पहले ही ये खेला होबे है। पवन ने यह तो बता दिया है कि वो आसनसोल से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे, लेकिन उन्होंने अपने संदेश में कारण के बारे में नहीं बताया। अबकी बार ४०० पार जपने वाले दल का एक प्यादा खेल शुरू होने से पहले टास्क ही हार गया।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)