-लैंसेट के अध्ययन में चौंकानेवाला खुलासा
सामना संवाददाता / मुंबई
हिंदुस्थान में अगर कोई व्यक्ति अथवा बच्चा थोड़ा सा भी मोटा है तो उसे खाते-पीते घर का कहा जाता है, लेकिन मोटापे को कभी भी बीमारी नहीं कहा जाता है। हालांकि, अब इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है, क्योंकि आज के दौर में मोटापा एक ऐसी महामारी बन गई है। मोटापा लोगों में कैंसर, डायबिटीज, हाइपरटेंशन समेत कई बीमारियों को न्योता दे रहा है। वैश्विक संस्था लैंसेट के हालिया अध्ययन में जानकारी सामने आई है कि हिंदुस्थान के युवा इस महामारी में फंसते जा रहे हैं।
द लैंसेट के अध्ययन के अनुसार, साल २०२२ में हिंदुस्थान में ५ से १९ वर्ष के बीच के १२.५ मिलियन बच्चे अत्यधिक वजन वाले पाए गए। इनमें ७.३ मिलियन लड़के और ५.२ मिलियन लड़कियां शामिल हैं। यह आंकड़ा साल १९९० में केवल ०.४ मिलियन था। अध्ययन में कहा गया है कि यह बहुत चिंता का विषय है, क्योंकि हिंदुस्थान पहले से ही हृदय रोग, स्ट्रोक और मधुमेह जैसी बीमारियों की उच्च दर का सामना कर रहा है। मोटापा बढ़ने के साथ-साथ इन बीमारियों का प्रचलन भी बढ़ रहा है। मोटापा भी किशोरों में इन बीमारियों की घटनाओं को बढ़ाता है। टाइप २ मधुमेह विशेष रूप से मोटे किशोरों में दिखाई देता है।
सरकार के प्रयास विफल
मोटापे की समस्या सिर्फ हिंदुस्थान ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने एक चुनौती है। द लैंसेट की रिपोर्ट में प्रकाशित वैश्विक अनुमान के अनुसार दुनियाभर में एक अरब से अधिक लोग मोटापे से ग्रस्त हैं। साल २०२२ के आंकड़ों के मुताबिक, इसमें करीब ८८ करोड़ वयस्क और १५.९ करोड़ बच्चे शामिल हैं। करीब १९० देशों की इस सूची में ब्रिटेन पुरुषों के मामले में ५५वें और महिलाओं के मामले में ८७वें स्थान पर है। अमेरिकी पुरुष सूची में १०वें स्थान पर हैं और महिलाएं सूची में ३६वें स्थान पर हैं। चीनी महिलाएं १७९वें और पुरुष १३८वें स्थान पर हैं, जबकि १९० देशों की सूची में हिंदुस्थानी महिलाएं १७१वें और पुरुष १६९वें स्थान पर हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि हिंदुस्थान में इस दर को कम करने के लिए सरकार की ओर से किए गए प्रयास कम हैं।