-शिंदे गुट के सांसदों में मची खलबली
सामना संवाददाता / मुंबई
शिवसेना से गद्दारी करके शिंदे के साथ गए बारह सांसदों में इस बात को लेकर खलबली मची हुई है कि कहीं मेरा पत्ता न कट जाए, क्योंकि शिंदे के साथ गए १२ सांसदों में करीब पांच से सात सांसदों का पत्ता कटना तय माना जा रहा है। सूत्रों की मानें तो भाजपा ने अभी तक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट को ७ और अजीत पवार गुट के लिए ४ सीटें छोड़ने का ऑफर किया है, वहीं शिंदे-दादा गुट सीटों को बढ़ाने के लिए दबाव बना रहा है। लेकिन भाजपा अधिक से अधिक १८ सीटों में शिंदे-दादा गुट को समेटने की योजना बना रही है।
बता दें कि भाजपा ने १९५ उम्मीदवारों की पहली सूची में महाराष्ट्र की किसी सीट के प्रत्याशी का एलान नहीं किया है। ऐसे में चर्चा है कि भाजपा राज्य में अब तक सबसे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। पार्टी ने कम से कम ३५ से ३७ सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है। पार्टी अभी तक महाराष्ट्र में इतनी सीटों पर चुनाव नहीं लड़ी है। पिछले पांच लोकसभा चुनावों में पार्टी अधिक से अधिक २६ सीटों पर चुनाव लड़ी है और पार्टी अधिकतम २२ सीटें राज्य में जीती है पार्टी ने राज्य में महायुति के साझीदारों के साथ मिलकर ४५ सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में शिवसेना के साथ लड़कर राज्य की ४१ सीटें जीती थीं। २०१४ में यही आंकड़ा रहा था।
शिवसेना से रहा है गठबंधन
२००९ के चुनावों में भाजपा और शिवसेना ने गठबंधन में ४७ सीटों पर चुनाव लड़ा था और २० सीटें जीती थीं। तब भाजपा २५ और शिवसेना २२ सीटों पर लड़ी थी। दोनों पार्टियों को क्रमश: ९ और ११ सीटें मिली थीं। २००४ में भाजपा और शिवसेना मिलकर चुनाव लड़े थे। इसमें भाजपा २६ सीटों पर लड़ी थी। इसमें उसे १३ सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि शिवसेना ने २२ सीटों पर चुनाव लड़ा था। उसे १२ सीटों पर जीत मिली थी। ऐसे एनडीए को २५ सीटें मिली थीं। इससे पहले १९९९ के चुनावों में भी भाजपा और शिवसेना एक साथ मैदान में उतरे थे। तब दोनों दलों के गठबंधन को २८ सीटों पर जीत मिली थी। तब भी भाजपा २६ और शिवसेना २२ सीटों पर लड़ी थी। भाजपा को १३ और शिवसेना को १५ सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
क्या शिंदे-दादा को ११ सीटों पर मना पाएगी भाजपा
महाराष्ट्र में भाजपा ३७ सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। इस स्थिति में अपने सहयोगी दल शिंदे-दादा गुट को ११ सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए मना पाएगी। यही कारण है कि भाजपा की पहली सूची में महाराष्ट्र में लोकसभा उम्मीदवारों के नाम घोषित नहीं हो सके।