-केंद्र सरकार को घुटने के बल लाने के लिए बनाई रणनीति
-किसान नेता बोले, ‘हमें ये लड़ाई जीतनी होगी’
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
देश का अन्नदाता अब अपनी मांगों को मनवाने के लिए अड़ा हुआ है। अब कुछ भी हो जाए वह रुकेगा नहीं। केंद्र की भाजपा की सरकार चाहे उन पर कितने भी जुल्म कर ले, अब वो पीछे नहीं हटेगा। बीते दिनों समूचे हिंदुस्थान ने देखा कि किस तरह से अन्नदाताओं के साथ आतंकी जैसा व्यवहार किया गया। लेकिन किसान आंदोलन और किसानों की मौत पर भी केंद्र सरकार अपने अड़ियल रवैए पर अड़ी हुई है। इन किसानों पर केंद्र सरकार को न ही तरस आ रहा है और न ही सरकार उनकी मांगों को पूरा कर रही है। ऐसे में देश के किसानों ने एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर हुंकार भरी है। अब वे पंजाब से दिल्ली कूच करना चाहते हैं। प्रदर्शनकारी शंभू बॉर्डर पर डटे हैं। किसानों का कूच रोकने के लिए दिल्ली की सभी सीमाओं पर सुरक्षा चाक-चौबंद है।
इसी बीच किसानों ने एलान किया है कि वह ६ मार्च को दिल्ली कूच करेंगे। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि हरियाणा-पंजाब को छोड़कर दूसरे राज्यों के किसान ६ मार्च को बिना ट्रैक्टर-ट्रॉली के दिल्ली कूच करेंगे। साथ ही १० मार्च को पूरे देश में रेल रोको आंदोलन भी किया जाएगा। किसान नेताओं ने बताया कि रेल रोको आंदोलन १२ बजे से लेकर ४ बजे तक चलेगा।
बता दें कि बठिंडा के गांव बल्लों में किसान शुभकरण की अंतिम अरदास के समय यह एलान किया गया। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने दूसरे राज्यों के किसानों को कहा है कि वो पैदल, ट्रेन या फिर बस से दिल्ली कूच करें। इसके अलावा शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर बैठे किसान वहीं बैठकर अपना आंदोलन चलाएंगे। उन्होंने बताया कि १० मार्च को हम पूरे हिंदुस्थान में १२ से चार बजे तक रेल चक्का जाम करने का एलान किया गया है। जगजीत सिंह डल्लेवाल ने अपने भाषण में कहा जो लड़ाई शुभकरण ने लड़ी है, उसने पूरे किसान अंदोलन को संदेश दिया है कि आज पूरे भारत में बैठे किसानों को यह लड़ाई जीतनी होगी। डल्लेवाल ने कहा कि किसानों पर बम फेंके गए। एक तरफ सरकार किसानों से मीटिंग कर चर्चा कर रही है दूसरी तरफ बॉर्डर पर बैठे किसानों पर अत्याचार कर रही है।
भाजपा सिर्फ धर्म की राजनीति कर रही है
डल्लेवाल ने आरोप लगाया कि इजराइल से मंगवाए गए ड्रोन इस किसान आंदोलन में इस्तेमाल किए गए। ७० हजार से ज्यादा सैनिकों को तैनात किया है, कई हथियार मंगवाए है, ताकि किसान किसी तरह दिल्ली में दाखिल ना हो। किसान किसी सरकार के साथ मिलकर अंदोलन नहीं कर रहे। किसान अंदोलन २०० गैर राजनीतिक किसान यूनियन का संघर्ष है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आमदनी दोगना करने का वादा किया था, लेकिन किसानों के लिए कुछ नहीं किया। भाजपा के एजेंडे में किसान और मजदूर कहीं भी शामिल नहीं हैं। भाजपा सिर्फ धर्म की राजनीति कर रही है।