सामना संवाददाता / नई दिल्ली
अपने राजनीतिक फायदे के लिए देश की अन्य राजनीतिक पार्टियों को तोड़कर `ऑपरेशन लोटस’ चलानेवाली भाजपा दूसरी पार्टियों के साथ कई बार `खेला’ कर चुकी है, लेकिन पिछले ४८ घंटे में भाजपा की पार्टी के कुछ लोगों ने ही पार्टी के प्रति `अविश्वास’ दिखाते हुए अपने मन की बात कही। किसी ने राजनीतिक संन्यास लेने और राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त होने के लिए पार्टी से निवेदन किया तो किसी ने लोकसभा चुनाव में टिकट मिलने के २४ घंटे के भीतर ही चुनाव न लड़ने की मंशा प्रकट की। ऐसे में ये बात तो साफ है कि भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। इसके अलावा भाजपा के मित्रपक्षों में भी कुछ बातों को लेकर नाराजगी देखने को मिल रही है। ये कहना गलत नहीं होगा कि एनडीए में अब सब गड़बड़ बा..!
इसका ताजातरीन उदाहरण हाल ही में देखने को मिला, जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में सभा के दौरान मोदी के हनुमान कहे जानेवाले लोजपा के मुखिया चिराग पासवान और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा मोदी की रैली में नदारद नजर आए। इससे भी अधिक गौर करनेवाली बात तो यह थी कि इन दोनों ने सोशल मीडिया पर भी पीएम मोदी का स्वागत करते हुए कोई पोस्ट तक शेयर नहीं की।
बता दें कि पीएम मोदी के बिहार दौरे के दौरान बीजेपी और जेडीयू ने एकजुटता दिखाने की कोशिश की। लेकिन चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा के पीएम मोदी की रैलियों से दूरी बनाए जाना सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इससे उन अटकलों को हवा मिल गई है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले बिहार एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। दरअसल, एनडीए में बिहार की लोकसभा सीटों के बंटवारे पर पेच फंसा हुआ है। यही कारण है कि भाजपा ने शनिवार को देशभर की १९५ लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित किए, लेकिन इसमें बिहार की एक भी सीट नहीं थी।
चिराग पासवान की हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर अपने चाचा पशुपति पारस से तकरार चल रही है। बीजेपी इन दोनों के बीच सहमति बनाने में अब तक सफल नहीं हुई है। दूसरी ओर चिराग जेडीयू की एनडीए में वापसी से भी ज्यादा खुश नहीं नजर आ रहे हैं। पिछले महीने नीतिश कुमार के शपथ ग्रहण के समय उन्होंने कहा था कि वह उनकी नीतियों का विरोध करते रहेंगे। पीएम मोदी की सभा में पशुपति पारस और नीतिश कुमार दोनों मंच पर मौजूद रहे। माना जा रहा है कि इन्हीं वजहों से चिराग पीएम की सभा में शामिल नहीं हुए।
वहीं दूसरी ओर सीटों पर सहमति नहीं बनने के चलते उपेंद्र कुशवाहा भी अलग-थलग चलते हुए नजर आ रहे हैं।